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अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सजा सुनाई, 1 रूपए का अर्थदंड, नहीं दिया तो 3 माह की होगी जेल
सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सजा सुनाई है
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने अवमानना के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) को सजा सुनाई है. प्रशांत भूषण को एक रूपए के अर्थदंड से दण्डित किया गया है. साथ ही सुको ने कहा है कि अर्थदंड न चुकाने पर 3 माह की जेल और 3 साल तक वकालत नहीं कर पाने की सजा होगी।
बता दें प्रशांत भूषण द्वारा 14 अगस्त को न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट किए गए थें. जिसकी वजह से उन्हें दोषी ठहराते हुए अवमानना का केस दर्ज किया गया था. जिसकी आज सुनवाई थी. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने यह फैसला सुनाया है. जस्टिस अरुण मिश्रा दो सितम्बर को रिटायर होने वाले हैं.
Supreme Court imposes a fine of Re 1 fine on Prashant Bhushan. In case of default, he will be barred from practising for 3 years & will be imprisoned of 3 months https://t.co/0lMbqiizBb
— ANI (@ANI) August 31, 2020
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण से माफ़ी मांगने की बात कही गई थी, लेकिन भूषण ने माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया था। 25 अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान भूषण की तरफ से पैरवी कर रहें अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ से भूषण को सजा नहीं देने का आग्रह भी किया था.
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इसके पहले हुई सुनवाई के दौरान अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने भूषण से माफ़ी मांगने की बात कही थी, लेकिन उनके इंकार करने पर कोर्ट ने उनसे पूंछा था कि आखिर वे माफ़ी क्यों नहीं मांग सकते हैं?
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी भूषण को आगे से ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए कोर्ट से सजा न देने का आग्रह किया था. तब पीठ ने भूषण को मांफी मांगने के लिए आधे घंटे की मोहलत भी दी थी. वेणुगोपाल ने भूषण को सभी बयान वापस लेने एवं खेद प्रकट करने के लिए कहा गया था, लेकिन प्रशांत भूषण ने इस पर भी इंकार कर दिया था.
लगातार सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रशांत भूषण देते रहें हैं बयान
14 अगस्त को भूषण ने ट्विटर के जरिए देश के हालात को लेकर पिछले चार प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाए थे. इसके पहले 29 जून को उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें वे एक मंहगी बाइक में सवार थें. इसके पहले भी भूषण के खिलाफ एक और अवमानना का मामला नवम्बर 2009 से कोर्ट में लंबित है. उन्होंने एक मैगज़ीन को दिए इंटरव्यू के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों के खिलाफ अपमानजनक टिपण्णी की थी.
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