संघ कर रहा है आर्थिक, स्वास्थ्य व पारिवारिक परामर्श का प्रबन्ध, चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का संकल्प
जयपुर. राजस्थान के प्रत्येक जिले में प्रवासी श्रमिक आये हैं, उनका सर्वेक्षण कर उनसे व्यक्तिगत संवाद करना, उनसे मिलना, उनके आर्थिक, मानसिक व स्वास्थ्य व पारिवारिक समस्याओं हेतु परामर्श की व्यवस्था करना, उनके आजीविका के प्रबन्ध में सहयोग करने व प्रशिक्षण के माध्यम से तीनों श्रेणी सेवा-प्रदाता, श्रमिकों व स्वयं का रोजगार की इच्छा रखने वालों के मध्य सामंजस्य बिठाने का कार्य संघ ने हर जिले में शुरू किया है.
सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्पन्न हुई दक्षिणी पूर्वी राजस्थान की संघ चालकों की बैठक में राजस्थान के संघचालक डॉ. रमेश ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में विषम परिस्थितियों में रेडजोन में जाकर भी स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य किए हैं, जिनकी संघ के विचार से व्रत रखने वालों ने भी प्रशंसा की.
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उन्होंने वर्चुअल माध्यम से सामाजिक सद्भावना बैठकें कर समाज को एकजुट करने का निर्देश सभी संघचालकों को दिया. आने वाली परिस्थितियों को देखते हुए चीन की सीमा पर हो रहे तनाव के लिए समाज को जागृत करने व किसी भी परिस्थितियों के लिए अपनी इकाई के स्वयंसेवकों को तैयार करने की बात भी कही.
पश्चिमी राजस्थान सीमा क्षेत्र के संघचालक ललित शर्मा ने सभी से सामाजिक एकजुटता बनाए रखने, देश में विभाजनकारी शक्तियों पर पैनी दृष्टि रखने व जागरूक रहने का आह्वान किया. उन्होंने कहा इस समय हमें सामाजिक समरसता को लेकर व्यापक प्रयास करने होंगे. भरतपुर से उत्तर पूर्व के संघचालक सरदार महेंद्र सिंह मग्गो ने स्वरोजगार व परामर्श के लिए दो वेबसाइट की जानकारी देते हुए सभी को स्वदेशी का संकल्प चित्तौड़ प्रांत के संघचालक एडवोकेट जगदीश राणा ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग करने व स्वावलम्बन के लिए जागृति लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया.चीन से जुड़े ऐप पर प्रतिबंध लगाने का केंद्र का फैसला एक “डिजिटल स्ट्राइक” था : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
ध्यातव्य है कि पिछले दिनों राजस्थान के पश्चिमी उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों में अलग-अलग में संघचालकों की बैठकें हुई. जिनमें खंड संघचालक से लेकर जिला व विभाग संघचालकों ने सहभाग किया. बैठकों में उपर्युक्त विषयों के अतिरिक्त संघ की संगठनात्मक व्यवस्था, वर्चुअल परिवार शाखाओं, स्वयंसेवक सम्पर्क, पर्यावरण गतिविधि व चीनी सामान के बहिष्कार आदि विषयों पर भी चर्चा हुई. तीनों बैठकों में गलवान में बलिदान हुतात्मा सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी गई.
सह प्रांत संघचालक हरदयाल का कहना है कि संघ में संघचालक परंपरा डॉक्टर हेडगेवार के समय से ही चली आ रही है जिस प्रकार परिवार का मुखिया होता है इस प्रकार संघ चालक की भूमिका सभी को साथ लेकर सभी की बात सुनना सभी कार्यकर्ताओं को उनका विकास कर आगे बढ़ाते रहना विभिन्न इकाइयों के संघचालक इस कार्य को सुचारू रूप से करते हैं.