सरकार के इस निर्णय खिलाफ RSS ने उठाई आवाज, जानिए क्या है पूरा मामला !
अब सैलरी काटने पर कंपनियों के खिलाफ नहीं होगी कार्रवाई, कर्मचारियो की बढ़ी परेशानी
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा पूरे देश मे लॉकडाउन लागू किया गया है धीरे धीरे लॉकडाउन की सख्ती में कमी लाई जा रही है। सरकार ने लॉकडाउन फेज -4 में कई नियम बदले मगर इस नए बदलाव से कंपनियों और किसी भी संस्थान में काम करने वाले कर्मचारियों पर सीधा असर पड़ने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने संस्थानों को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह में कटौती करने की छूट दे दी है जबकि अबतक ऐसा करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्यवाई करने के निर्देश थे। बता दें कि सरकार द्वारा निर्णय वापस लेने के बाद विपक्ष के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-RSS से जुड़ा भरतीय मजदूर संघ भी विरोध में खड़ा हो गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के सेक्शन 10(2)(I) के तहत होम सेक्रेटरी ने नेशनल एक्जेक्यूटिव कमिटी के चेयरपर्सन के तौर पर आदेश दिए थे. आदेश में लिखा था,कि‘सभी मालिक, चाहे वो किसी इंडस्ट्री से हों, या दुकानदार हों या किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान से हों, अपने कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के लॉकडाउन के दौरान भी सैलरी देंगे.’ जाहिर है लॉकडाउन से हर कंपनी, संस्थान, कारखानों को बड़ा नुकसान पहुंचा है.
सरकार ने इस फैसले के बाद कई व्यवसाइयों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाई ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले एससी ने कहा था कि कि सरकार उन प्राइवेट कंपनियों के विरुद्ध जबरन कार्यवाही नहीं कर सकती जो अपने एम्प्लोयी को वेतन नहीं दे पा रहे है तीन जजों की बेंच ने महसूस किया कि छोटे और प्राइवेट एंटरप्राइजेज के लिए लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देना काफी मुश्किल है, क्योंकि उन्हें खुद भी लॉकडाउन से नुकसान हो रहा हैं।
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सरकार ने नई गाइडलाइन में बदला नियम
सरकार ने कंपनियों को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह काटने के लिए छूट दे दी है मगर ऐसा निर्णय क्यों लिया गया यह सरकार ने स्पष्ट नहीं किया ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में लगी सेकड़ो याचिका के बाद सरकार को फैसला बदलना पड़ा है ग्रह मंत्रालय से जारी नई गाइडलाइन में यह लिखा है कि ‘नेशनलएक्जेक्यूटिव कमिटी द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के सेक्शन 10(2)(I)के तहत जो भी आदेश प्रभाव में लाए गए थे, उन पर 18 मई से रोक लगाई जा रही है.’
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