राष्ट्रीय

आज कोरोना के ही जैसे 1918 में भी लाचार थी दुनिया, हुई थी करोड़ों मौतें

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:51 AM IST
आज कोरोना के ही जैसे 1918 में भी लाचार थी दुनिया, हुई थी करोड़ों मौतें
x
कोरोना वायरस से जंग के मामले में वो आज ऐसे ही बेबस है जैसे कभी 1918 में था। स्‍पेनिश फ्लू ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया था और करोड़ों

आज इंसान भले ही चांद पर पहुंच गया हो लेकिन कोरोना वायरस से जंग के मामले में वो आज ऐसे ही बेबस है जैसे कभी 1918 में था। 1918 में आए स्‍पेनिश फ्लू ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया था और करोड़ों लोग इसकी चपेट में आकर मारे गए थे। उस वक्‍त और आज के वक्‍त में इतना ही अंतर दिखाई दे रहा है कि आज हम तकनीकी तौर पर खुद को काफी सक्षम बताने का दम भरते हैं।

तकनीक के दौर में जहां हम चांद पर ऐसी अंधेरी जगह पर अपना यान उतारने में कामयाब हुए हैं जो आज तक हम से अछूती रही है। इतना ही नहीं हम मंगल पर भी अपने यान उतारने और उसपर पानी समेत कई अन्‍य चीजों की खोज करने में सफल हुए हैं। अब तक हम मंगल पर इंसानी बस्‍ती बसाने का ब्‍लूप्रिंट तैयार करने में लगे हैं।

वायरस के सामने बौने साबित

लेकिन इस तकनीकी युग में जब हमनें इतनी सारी उप‍लब्धियों को अपनी झोली में डाला है तब भी हम इस युग में एक वायरस के आंतक के सामने बौने साबित हो रहे हैं। आलम ये है कि पूरी दुनिया में 3726796 लोग इससे संक्रमित हैं और 258305 लोगों की जान अब तक जा चुकी है, लेकिन इसके प्रकोप को कम कर पाने या रोकपाने में हमारे हाथ पूरी तरह से खाली ही हैं।

वैक्‍सीन को खोजने में दिन-रात जुटे वैज्ञानिक

वैज्ञानिक इसकी वैक्‍सीन को खोजने में दिन-रात जुटे हैं लेकिन उनका कहना है कि यदि वो इस वैक्‍सीन को बनाने में कामयाब हो भी जाते हैं तब भी इसको पूरी दुनिया तक पहुंचने में एक से डेढ़ वर्ष तक का समय लग जाएगा।

CORONAVIRUS वैक्सीन को लेकर जगी दुनिया की उम्मीद, इन्होने किया दावा

इतना ही नहीं इन वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि ये जानलेवा कोरोना वायरस जिस तेजी से अपने प्रकार बदल रहा है उस तरह से इसकी वैक्‍सीन को बनाने में समस्‍या सामने आने वाली है। वो ये भी मानते हैं कि कोई भी एक प्रकार का टीका या दवा इसको रोकपाने में सक्षम नहीं होगी। इसके हर प्रकार के लिए एक अलग वैक्‍सीन तैयार करनी होगी।

आज कोरोना के ही जैसे 1918 में भी लाचार थी दुनिया, हुई थी करोड़ों मौतें

वैक्‍सीन की भी कोई गारंटी नहीं

हाल ही में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ये भी कहा है कि दुनियाभर में बनाई जा रही कोरोना वैक्‍सीन भविष्‍य में कामयाब होगी इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। यहां पर हर कोई इस बात को समझने में नाकाम है कि जो इंसान चांद पर पहुंच गया और मंगल ग्रह पर बस्तियां बसाने के सपने संजोए बैठा है वो एक वायरस से भला कैसे हार सकता है। लेकिन वर्तमान की सच्‍चाई तो यही है। एक वायरस की वजह से पूरी दुनिया पर आज ताला लग गया है।

भारत में पेट्रोल-डीजल को लेकर आई बड़ी खबर, पढ़िए नहीं पछताएंगे

कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुंआ गायब हो चुका है, सड़कों, मॉल्‍स, शॉपिंग कॉम्‍पलैक्‍स, मूवी थियेटर, रेस्‍तरां और ऑफिस में दिखाई देने वाली भीड़ गायब है। सभी लोग अपने घरों में बैठकर उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब हम इस जानलेवा वायरस का खात्‍मा कर देंगे। लेकिन ये कब होगा इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता है।

इतिहास खुद को दोहरा रहा

यहां पर ऐसा लगने लगा है कि 102 वर्ष बाद एक बार फिर से इतिहास खुद को दोहराने में लगा है। इन 102 वर्षों में दुनिया ने कोरोना वायरस के अलावा जिस महामारी को झेला था उसका नाम था स्‍पेनिश फ्लू। 1918 में आई इस महामारी से दुनियाभर में 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे। इस फ्लू ने पूरी दुनिया में करीब 2-5 करोड़ लोगों की जान ली थी। दुनिया भर में इसकी वजह से मारे गए लोगों की मौत के ये आंकड़े प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की कुल संख्या से भी ज्यादा हैं। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहा था।

भारत में इसकी शुरुआत

भारत में इसकी शुरुआत 29 मई 1918 को उस वक्‍त हुई थी जब मुंबई के बंदरगाह पर भारतीय सैनिकों को लेकर एक जहाज पहुंचा था। मुंबई के बंदरगाह पर ये जहाज दो दिन तक यूं ही खड़ा रहा था। विश्‍व युद्ध अपनी समाप्ति की तरफ बढ़ रहा था। 10 जून को मुंबई पोर्ट पर तैनात सात पुलिसकर्मियों को तेज बुखार की वजह से अस्‍पताल में भर्ती करवाया गया। इनकी जांच में पता चला कि ये सभी इन्फ्लूएंजा संक्रमित थे।

Weather Alert: 20 से अधिक राज्यों में आंधी के साथ भारी बारिश और ओलावृष्टि की संभावना

इस किसी बड़ी संक्रामक बीमारी का भारत में यह पहला हमला था। स्पेनिश फ्लू उस समय पूरी दुनिया में बहुत तेजी से फैल रहा था। वहीं दूसरी तरफ मुंबई में जहाज के जरिए कई विदेशी भारत आते थे इसकी वजह से चिंता और बढ़ गई थी। वर्ष 1920 के अंत तक इसकी वजह से पूरी दुनिया में 5 से 10 करोड़ लोग प्रभावित हो चुके थे

पूरी दुनिया के लिए जानलेवा

स्पेनिश फ्लू का पहला चरण माइल्ड था। लेकिन समय के साथ इस महामारी का असर जुलाई तक अपने दूसरे चरण में पहुंच गया और सितंबर में ये पूरी दुनिया के लिए जानलेवा हो गया था। इसकी वजह से करोड़ों लोगों की जान चली गई थी। स्पेनिश फ्लू के कारण 18 लाख भारतीय मारे गए थे। यह किसी भी देश में मौतों का सर्वाधिक आंकड़ा था। 14वीं सदी में ब्लैक डेथ महामारी के बाद ये इतिहास की सबसे खतरनाक महामारी रही।

उस वक्‍त दुनिया के पास इसको खत्‍म करने के संसाधन भी नहीं थे। टीका, एंटी वायरल दवा या एंटीबायोटिक का भी अभाव था। ऐसे में एक दूसरे व्‍यक्ति से दूरी बनाने और क्वारंटाइन करने जैसे उपायों का सहारा लिया गया।

सोशलाइज्ड मेडिसिन-हेल्थकेयर की शुरुआत

इसके बाद तमाम देश सभी के लिए सोशलाइज्ड मेडिसिन-हेल्थकेयर की शुरुआत पर विवश हुए। रूस पहला देश बना जिसने केंद्रीयकृत हेल्थकेयर प्रणाली की शुरुआत की। इसके बाद जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में इसकी शुरुआत हुई। सभी देशों ने अपने हेल्थकेयर को मजबूत और विस्तार करने का काम शुरू किया। 1920 में कई देशों ने स्वास्थ्य मंत्रालयों का गठन किया गया। इसी दौरान तबके लीग आफ नेशंस (अब संयुक्त राष्ट्र) की वैश्विक स्वास्थ्य पर नजर रखने की एक शाखा भी खुली जिसे आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम से हम सब जानते हैं।

सरकार का ऐलान – इस जिले को छोड़कर पूरे देश में नहीं होंगे 10वीं के एग्जाम

अमेरिकी सर्जन का था कहना

आपको बता दें कि कोविड-19 और स्‍पेनिश फ्लू के बीच अलग होते हुए भी कुछ समानताएं हैं। जैसे ये दोनों ही वायरस जानवरों के जरिए इंसानों में आए थे। इसके बाद जैसे जैसे संक्रमित इंसान एक दूसरे से मिलते गए ये वायरस का हमला बढ़ता चला गया। दोनों को क्राउड डिजीज कहा गया। इसका अर्थ होता है कि भीड़ से फैलने वाला रोग। 1918 में इस रोग ने अकेले अमेरिका में ही 675000 लोगों की जान ली थी।

उस वक्‍त अमेरिकी सर्जन जनरल रुपर्ट ब्‍लू ने लोगों को इससे बचने के लिए खुद को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाने और चेहरा ढकने की सलाह दी थी। उन्‍होंने ये भी कहा था कि यदि किसी में भी इसके लक्षण दिखाई दें तो वो खुद को क्‍वरंटाइन कर ले। उन्‍होंने लोगों को इसके लिए चेताया था और कहा था कि एक दूसरे से दूरी बनाए रखना इसका सबसे सीधा और सरल उपाय है।

ख़बरों की अपडेट्स पाने के लिए हमसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जुड़ें:

Facebook, Twitter, WhatsApp, Telegram, Google News, Instagram

Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

    Next Story