RBI ने कहा- ऐसे टाइम में भी भारत के हालात दूसरों से बेहतर! जानिए किसे क्या राहत मिली...
RBI ने कहा- ऐसे टाइम में भी भारत के हालात दूसरों से बेहतर! जानिए किसे क्या राहत मिली... : दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है. इस आपदा के चलते कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं डगमगा गई हैं. इधर भारत में भी इकॉनमी को संकट से उबारने एवं राहत के लिए RBI ने आज फिर कई बड़े ऐलान किए. केंद्रीय बैंक ने मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष रूप से एक लाख करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया. टार्गेटेड लांग टर्म रीपो ऑपरेशन (TLTRO 2) के तहत RBI ने MFIs और NBFCs को 50 हजार करोड़ रुपये की राहत देते हुए मदद का ऐलान किया. इसके अलावा RBI ने नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी को 50 हजार करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया गया है.
रीपो रेट 0.25 घटा
इसके साथ ही रिवर्स रीपो रेट को 4 पर्सेंट से घटाकर 3.75 पर्सेंट कर दिया गया लेकिन रीपो रेट को बरकरार रखा गया है. एक महीने के भीतर ही दूसरी बार रिवर्स रीपो रेट कट किया गया है, 27 मार्च को इसमें 90बीपीएस की कटौती की गई थी. रिवर्स रीपो में कटौती से बैंक केंद्रीय बैंक के पास रिज़र्व रखने से बचेंगे.
पढ़ें : हर 10 लाख में महज 9 संक्रमित, कोरोना की जंग में अन्य देशों से बेहतरीन है भारत की स्थिति
क्या होता है रिवर्स रीपो रेट?
बैंकों के पास जब दिनभर के कामकाज के बाद रकम बची रह जाती है, उस रकम को वे भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं. इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है. भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रीपो रेट कहते हैं.
आरबीई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक का मिशन है कि कोरोना के कारण गिरती इकॉनमी के घटने की रफ्तार तेज होने से रोका जा सके. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई कोविड-19 महामारी के चलते पैदा हुई परिस्थितियों पर नजर रखे हुए है. दास ने कहा, मार्च 27 जब वह पहला बूस्टर लेकर आए थे, तब से मैक्रोइकॉनमिक कंडिशन बिगड़ती जा रही है.
ग्लोबल इकॉनमी सबसे बुरी मंदी देख सकती है. वह बोले, ग्लोबल जीडीपी में 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है जो जापान और जर्मनी की जीडीपी के बराबर हो सकता है. भारत जी20 इकॉनमीज में सबसे ज्यादा ग्रोथ वाला देश हो सकता है जैसा कि IMF ने कहा है. गवर्नर ने कहा, हम पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नजर रख रहे हैं. भारत के हालात दूसरों से बेहतर हैं. वैश्विक मंदी के अनुमान के बीच भारत की विकास दर अब भी पॉजिटिव रहने का अनुमान है और यह 1.9 प्रतिशत रहेगी.
नाबार्ड, सिडबी और नैशनल हाउसिंग बैंकों के लिए बड़ा ऐलान
कोविड-19 के कारण इन इंस्टीट्यूशन्स को सेक्टोरल क्रेडिट की कमी का सामना करना पड़ रहा है. रीफाइनैंसिंग के लिए इनके लिए 50 हजार करोड़ रुपये की मद दी जा रही है. इसमें 25 हजार करोड़ नाबार्ड के लिए, सिडबी के लिए 15 हजार करोड़ और 10 हजार करोड़ एनएचबी के लिए होगा. इस अमाउंट के बारे में फऐसला इनसे चर्चा के बाद लिया गया है. इसमें बाद में बदलाव किया जा सकता है.
पॉलिसी रेट्स पर ऐलान
रिवर्स रीपो रेट को 4 पर्सेंट से घटाकर 3.75 पर्सेंट कर दिया गया है और रीपो रेट को बरकरार रखा गया है. बैंक ज्यादा राहत और लोन दे सकें, इसलिए रिवर्स रीपो रेट में कटौती की गई है.
कुछ और बड़ी बातें...
- बैंकों को अपने फंड का 50% TLTRO-2 के तहत स्मॉल और मिड साइज NBFC में इन्वेस्ट करना होगा.
- राज्यों की WMA लिमिट 60 पर्सेंट बढ़ा दी गई है. बढ़ी हुई लिमिट 30 सितंबर तक के लिए होगी.
- 90 दिनों के NPA पीरियड से मोराटोरियम पीरियड बाहर रहेगा.
- कर्ज लेने वालों को NBFCs रिलैक्स्ड NPA के तहत रख सकती हैं.
- बैंक और कोऑपरेटिव बैंक किसी डिविडेंड का भुगतान नहीं करेंगे.
- अगर किसी ऐसी वजह से रियल्टी प्रॉजेक्ट में देरी होती है जिसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता तो NBFCs लोन को 1 साल के लिए बढ़ा सकते हैं.
- स्टिल अकाउंट्स पर बैंकों को 10फीसदी की प्रोविजनिंग मेनटेन करना होगा.
गुरुवार को हुआ था मंथन
देश की इकॉनमी और इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच गुरुवार को लंबी मीटिंग हुई. सूत्रों के अनुसार सहमति बनी कि इंडस्ट्री को राहत पैकेज किस्तों में दिया जाए. यह काम सेक्टरवार तरीके से होगा. जिन सेक्टरों को पैकेज दिया जाएगा, उनमें छोटे उद्योग, फार्मा, मैन्युफैक्चरिंग, सिविल एविएशन, सर्विसेज, ऑटो, टूरिजम और होटल्स शामिल हैं.