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एमपी में दुर्घटना के दौरान महिला का कटकर अलग हो गया हाथ, 9 घंटे सर्जरी कर डॉक्टरों ने जोड़ा
मध्यप्रदेश में डॉक्टरों ने महिला के शरीर से कटकर अलग हो चुके हाथ को पूरी तरह से जोड़ दिया। महिला की सर्जरी लगभग 9 घंटे तक चली। महिला की हाथ की तीन उंगलियों में मूवमेंट प्रारंभ हो गया है। चिकित्सकों की मानें तो जल्द ही पूरा हाथ काम करने लगेगा। बुजुर्ग महिला का बायां हाथ दुर्घटना के दौरान कटकर अलग हो गया था।
आइस बॉक्स में रखकर ले गए कटा हाथ
एमपी के इंदौर में यह हादसा आगर रोड पर 4 जून की रात को हुआ। महिला परिवार के साथ रात 9.20 बजे नलखेड़ा से इंदौर आ रही थी। सारंगरपुर से 15 किलोमीटर दूर सामने से तेज रफ्तार से आ रहा ट्राला रांग साइड से आया और जीप से सटकर निकल गया। इस दौरान जीप एक ओर पूरी तरह से पिचक गई। पीछे की सीट पर 55 वर्षीय महिला दो वर्षीय पोते को गोद में लेकर बैठी थी। जिनका एक हाथ खिड़की से बाहर निकला था। हादसे में बांया हाथ कोहनी के नीचे से कटकर सड़क पर दूर जा गिरा। ड्राइवर ने जब महिला की चीख सुनी तो तत्काल गाड़ी रोककर महिला के बेटे ने हाथ ढूंढ़ा। इस दौरान इंदौर के एक अस्पताल को फोन लगाया गया और घटना की जानकारी चिकित्सकों को दी गई। जिसके बाद इंदौर बाम्बे हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने कहा कि आइस बॉक्स में रखकर कटे हुए हाथ को ले आएं। तब महिला के कटे हुए हाथ को आइस बॉक्स में रखकर अस्पताल पहुंचाया गया।
रास्ते में करानी पड़ी ड्रेसिंग
मां के कटे हाथ बेटे ने प्लास्टिक की थैली में बर्फ डालकर रखा। घटनास्थल से 165 किलोमीटर दूर इंदौर अस्पताल पहुंचने तक उसे दो-तीन बार बर्फ डालना पड़ा। इधर हाथ कट जाने से महिला की लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। परिजनों ने उसे बांधा और रास्ते में शाजापुर के एक अस्पताल ले गए। जहां पर डॉक्टरों ने स्टीचिंग की और पेन किलर इंजेक्शन दिया। रात तकरीबन डेढ़ बजे परिजन महिला व उसके कटे हाथ को लेकर अस्पताल पहुंचे।
9 घंटे चली सर्जरी
इस दौरान चिकित्सकों ने सर्जरी की तैयारी कर ली थी। सबसे पहले कटे हाथ को साफ किया गया। इसके साथ ही उसकी हड्डियां, वेन, मांसपेशियां व्यवस्थित कीं। फिर महिला को ऑपरेशन थिएटर में लिया। चिकित्सकों ने सबसे पहले अलग हो चुकी हाथों की दो हड्डियों को जोड़ा तत्पश्चात दो आर्टरीज को जोड़ा गया। इसके बाद वेन्स और नर्व को जोड़ा। इस दौरान महिला को छह यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ा। यह सर्जरी प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगेश टटवाडे के नेतृत्व में की गई। नौ घंटे तक यह सर्जरी चलती रही। सर्जरी में अर्थोपैडिक एक्सपर्ट डॉ. आनंद गुप्ता और एनेस्थेटिस्ट डॉ. चारू नीमा के टीम की विशेष भूमिका रही।
इनका कहना है
प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगेश टटवाडे का कहना है कि इस जटिल सर्जरी में प्रारंभ से लेकर अंतिम तक बारीकी से ध्यान रखा गया। ऐसे मामलों में सबसे पहले टूटी हड्डियों को जोड़ा जाता है ताकि मुख्य आधार बने। इसके बाद दो आर्टरीज को जोड़ा जिससे खून का संचार होता है। इसके बाद चार वेन्स को जोड़ा इस वेन्स के जरिए खून वापस लौटता है। तीसरे दिन से ही महिला के हाथ की अंगुलियों में सेंसेशन आ गया है वह अब इसे हिलाने लगी हैं