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क्या है आदर्श आचार संहिता और इसके नियम? जिनका पालन प्रधानमंत्री तक को करना पड़ता है...
भारत में चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू की जाती है।
Adarsh Aachar Sanhita: देश के पांच राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में चुनावों के लिए अगले एक-दो दिन में नामांकन, वोटिंग और परिणामों की तारीखों का ऐलान हो जाएगा। इसके साथ ही इन पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। आचार संहिता लागू होने के बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता, मंत्री और सत्ता पक्ष के नेता न तो कोई घोषणा कर सकेंगे और न ही किसी भी तरह के शिलान्यास, लोकार्पण, भूमिपूजन और उद्घाटन के कार्यक्रम हो सकेंगे। तो आखिर क्या है यह आचार संहिता? इसके क्या नियम है? यह क्यों लागू होती है? जिसका पालन प्रधानमंत्री तक को करना पड़ता है... आइये आचार साहिता के बारे में विस्तार से जानते हैं।
चुनावों की आदर्श आचार संहिता क्या है?
भारत में चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू की जाती है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए चुनाव आयोग सत्तारूढ़ दलों और उम्मीदवारों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करता है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह से सरकारी तंत्र का दुरुपयोग न हो।
आदर्श आचार संहिता चुनावों के दौरान सभी उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों, सरकारी अधिकारियों और मीडिया के लिए आचरण के मानदंडों को निर्धारित करती है। इसे भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा तैयार किया गया है और यह भारत में सभी चुनावों पर लागू होता है, चाहे वे केंद्र सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय निकायों के लिए हों।
भारत में चुनावों की आदर्श आचार संहिता भारतीय चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करने और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों, राजनीतिक पार्टियों और चुनाव प्रशासन को चुनाव के दौरान और उसके बाद बराबरी और न्यायपूर्णता की दिशा में अदरकरने के लिए निर्मित की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में ईमानदारी, सुशासन और समर्पण की सुनिश्चित करना है।
कब से लागू होती है आदर्श आचार संहिता
चुनाव आयोग होने वाले चुनावों की तारीखों का ऐलान करता है और इस ऐलान के ठीक साथ ही चुनावी क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो जाती है। यह इलेक्शन प्रक्रिया के समाप्त होने तक लागू रहती है।
आदर्श आचार संहिता में कुछ मुख्य नियम
- चुनावी खर्च की नियंत्रण: इसके तहत, उम्मीदवारों और पार्टियों को चुनावी खर्चों को प्राधिकृत करने और सीमित करने के लिए उनकी उल्लंघन करने पर रोक लगाई जाती है।
- मतदान का निरीक्षण: यह नियम चुनावी मतदान प्रक्रिया को निगरानी में रखने और उसकी सुरक्षा की दिशा में विशेष दिशाओं की प्राथमिकता को प्रदान करता है।
- वोटिंग मशीनों का उपयोग: आदर्श आचार संहिता के तहत, वोटिंग मशीनों का उपयोग चुनाव में सुरक्षित और निश्चित बनाने के लिए सुनिश्चित किया जाता है।
- विज्ञापनों का नियंत्रण: इस संहिता के अनुसार, चुनावी विज्ञापनों की प्रमाणिकता की जांच की जाती है, और गलत और असंविधानिक विज्ञापनों को रोका जाता है।
- निगरानी और प्रतिबद्धता: यह संहिता चुनाव के दौरान और उसके बाद उम्मीदवारों और पार्टियों के साथ न्यायपूर्णता की सुनिश्चिती के लिए चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होती है।
- सरकारी तंत्रों के इस्तेमाल पर रोंक: आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही सरकारी विमान, सरकारी बंगले या सरकारी तंत्रों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार या किसी भी तरह की सरकारी गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता।
- सरकारी कार्यक्रमों पर रोंक: सरकारी घोषणा, लोकार्पण, उद्घाटन और शिलान्यास आदि पर रोंक लग जाती है। यहां तक कि कोई भी नेता किसी चुनावी रैली में जाति-धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता है।
- अधिकारी-कर्मचारियों के ट्रांसफरों पर पाबंदी: आचार संहिता लागू होने के दौरान किसी भी अधिकारी-कर्मचारी का ट्रान्सफर शासन या किसी स्तर से नहीं हो सकता है। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी चुनाव को प्रभावित कर सकता है तो उसका ट्रांसफर चुनाव आयोग की अनुमति से होता है।
- सत्तासीन सरकार के मंत्री, विधायक किसी भी सरकारी मद या तंत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकते। विधायक और सांसद निधि के उपयोग पर भी पाबंदी रहती है।
- मंत्री-विधायक आधिकारिक चर्चाओं के लिए निर्वाचन के कार्य में लगे किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को नहीं बुला सकते।
- पुलिस और प्रशासनिक तंत्र को निष्पक्ष रहना होता है और उनकी कार्यशैली भी इस दौरान निष्पक्ष होनी चाहिए।
आदर्श आचार संहिता चुनावों को न्यायपूर्ण और सुशासनिक बनाने के लिए नियमों और दिशाओं का मानदंड प्रदान करती है ताकि चुनाव प्रक्रिया में दोषों को कम किया जा सके और जनता के वोट का मूल्य बना रह सके। यह संहिता भारतीय लोकतंत्र के स्वस्थ और सुरक्षित संचालन के लिए महत्वपूर्ण है।