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एमपी में यूनियन बैंक के क्लर्क को 18 हजार रुपए रिश्वत लेते लोकायुक्त ने रंगे हाथ दबोचा
लोकायुक्त की ताबड़तोड़ कार्रवाईयों के बाद भी कार्यालयों में रिश्वतखोरी का बोलवाला है। बिना घूस दिए लोगों के काम नहीं हो पाते हैं। राशि नहीं मिलने पर काम कराने के लिए कार्यालय पहुंचने वाले इधर-उधर भटकते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर का प्रकाश में आया है। जहां क्लर्क को 18 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ लोकायुक्त की टीम ने धर दबोचा है।
राशि रिलीज करने मांगी थी रिश्वत
बताया गया है कि एमपी ग्वालियर के महाराजपुरा बेहटा निवासी जगदीश कुशवाह किसानी का काम करते हैं। उनके पिता के नाम जमीन है। जिनके द्वारा यूनियन बैंक की बड़गांव खुरैरी शाखा में लोन के लिए आवेदन किया गया था। उनका लोन स्वीकृत भी हो गया था। लोन की राशि 1 लाख 77 हजार रुपए थी। यहां लोन शाखा में पदस्थ क्लर्क हरीश गोड़िया ने पहले भी किसान से लोन संबंधी काम कराने की एवज में रिश्वत की मांग की गई थी। किंतु जब लोन स्वीकृत हो गया तो लोन की राशि खाते में रिलीज नहीं होने दे रहा था। पीड़ित की मानें तो क्लर्क द्वारा तरह-तरह की अड़चने डाली जा रही थीं।
10 प्रतिशत मांगी थी रकम
यूनियन बैंक की बड़ागांव खुरैरी शाखा से कृषक का 1 लाख 77 हजार रुपए का लोन स्वीकृत हुआ। जिस पर क्लर्क हरीश गोड़िया द्वारा पीड़ित से साफ शब्दों में यह कहा गया कि लोन की 10 प्रतिशत राशि उसे चाहिए तभी उसकी रकम उसे मिल पाएगी। बाबू के लगातार परेशान करने से क्षुब्ध होकर जगदीश ने 27 अप्रैल को लोकायुक्त एसपी से मामले की शिकायत की गई। जिसके बाद लोकायुक्त की टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
इनका कहना है
इस संबंध में लोकायुक्त निरीक्षक कविन्द्र सिंह चौहान के मुताबिक यूनियन बैंक में पदस्थ क्लर्क द्वारा कृषक से रिश्वत की मांग की जा रही थी। जगदीश ने जैसे ही 18 हजार रुपए बैंक के बाबू हरीश गोड़िया को दिए वह उनको हाथ में लेकर गिन रहा था। इसी दौरान लोकायुक्त की टीम ने उन्हें पकड़ लिया। बाबू के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।