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एमपी में मवेशी चराने गए बुजुर्ग का बाघ ने किया शिकार, शरीर का आधे से अधिक हिस्सा खा गया
मध्यप्रदेश के जंगल में एक बुजुर्ग को बाघ ने अपना शिकार बना लिया। बुजुर्ग जंगल में मवेशी चराने गया हुआ था। इस दौरान बाघ ने उसे अपना निवाला बनाते हुए उसके शरीर का आधे से अधिक हिस्सा खा गया। घटना की जानकारी ग्रामीणों द्वारा वन विभाग के अधिकारियों को दी गई। जिसके बाद वन विभाग के साथ ही पुलिस की टीम मौके पर जा पहुंची। ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने बुजुर्ग के शव को बाघ द्वारा खाते हुए भी देखा है।
पोती खाना देने गई जंगल तब हुई जानकारी
यह घटना एमपी के इंदौर जिले के महू रेंज अंतर्गत ग्राम मलेंडी से लगे हुए जंगल में हुई। गांव के निवासी 60 वर्षीय सुंदरलाल पिता गंगाराम रविवार को सुबह मवेशी चराने जंगल गए हुए थे। ग्रामीणों का कहना है कि 10 बजे के आसपास उसकी पोती रानी जंगल खाना पहुंचाने गई थी। उसने दादा को काफी ढूंढा किंतु वह नहीं मिले। इस दौरान दादा सुंदरलाल के खून से सने हुए कपड़े उसने देखे तो वह घबरा गई। वह जंगल से वापस लौट आई और इसकी जानकारी अपने पिता हरिनारायण को दी। जिसके बाद परिजन ग्रामीणों के साथ जंगल पहुंचे।
हाथ व आधा शरीर खा गया
ग्रामीणों का कहना था कि उन्होंने बाघ को सुंदरलाल के शव को खाते हुए भी देखा है। हमला करने के बाद बाघ शव को अंदर झाड़ियों की ओर खींचकर ले गया था। बाघ ने जब ग्रामीणों की आहट पाई तो वह शव छोड़कर भाग गया। ग्रामीणों के मौके पर पहुंचने से पहले बाघ आधे से ज्यादा हिस्से को खा चुका था। मृतक का उल्टा हाथ सहित शरीर का आधा हिस्सा गायब था। इसकी जानकारी वन विभाग और पुलिस को ग्रामीणों ने दी। मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
बाघ के मिले पगमार्क
घटना की जानकारी होते ही मौके पर रेंजर और एसडीओ कैलाश जोशी भी पहुंच गए थे। इस दौरान जंगल में बाघ के पगमार्क भी पाए गए हैं। मलेंडी, आशापुरा, बड़गोंदा गांव की मेन रोड के दोनों तरफ जहां तक नजर जाए खेत ही नजर आते हैं। तीनों गांव जंगल से घिरे हुए हैं। इस वजह से 15 से 20 लोगों की रेस्क्यू टीम इतने बड़े एरिया में बाघ को तलाश नहीं कर पा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग मुनादी कराकर बेफिक्र हो गया है।
इंदौर के बाहरी इलाके में घूम रहा टाइगर
इंदौर के समीप आबादी वाले गांव मलेंडी से बाघ 10 दिन बाद भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं है। यहां आशापुरा से लेकर मलेंडी तक 5 किलोमीटर एरिया में तालाब, नहर, पोखर आदि मौजूद हैं। मलेंडी गांव खत्म होते ही घना वन क्षेत्र प्रारंभ हो जाता है। जो चोरल, बड़वाह तक जाकर मिलता है। जिसकी वजह से बाघ बार-बार मलेंडी के खेतों में आकर बाड़ों में मवेशियों का शिकार कर रहा है। मलेंडी गांव प्रारंभ होते ही हनुमान मंदिर का प्रांगण है। जहां 15 से 20 घर मौजूद हैं। जिनके पीछे खुला हुआ मैदान होने के साथ ही समीप ही पानी बह रहा है। मवेशियों को भी पानी पिलाकर यहीं बांध दिया जाता है। बाघ ने सबसे पहले यहीं पर मवेशी का शिकार किया था। वन विभाग द्वारा यहीं पर पिंजरा भी लगा रखा है किंतु इसके बाघ इसके आसपास नहीं आ रहा है।