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एमपी के किसान हो जाएं सतर्क! इस कीट ने राज्य भर में मचाया आतंक, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने दी नसीहत, यह करें नहीं बर्बाद हो जाएगी महीनो की मेहनत
मध्य प्रदेश के किसान भाइयों के लिए जरूरी खबर है। बता दें की कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों एवं किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण के दौरान गेहूं, जौ एवं सरसों की फसल में जड़ एवं पत्तियों पर माहू कीट का प्रकोप देखा गया है। जानकारी के अनुसार यह कीट फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। अधिकारीयों का कहना है किसान कीट की शुरुआती अवस्था में पहचान नहीं कर पाते हैं। जब तक किसानों इसकी जानकारी लगती है तब तक यह कीट फसल को काफी नुकसान पहुंचा चुका होता है।
कैसे करें इस कीट की पहचान
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जानकारी देते हुए बताया कि एफीड यानि माहू हल्के हरे, पीले, भूरे या काले रंग के बहुत ही छोटे कीड़े होते हैं। रूट एफीड कीट गेहूं एवं जौ की फसलों की मिट्टी के अंदर वाले तने एवं जड़ वाले भाग को नुकसान पहुंचाता है।
बता दें की यह कीट झुंड में रहता है और जड़ों का रस चूसता रहता है। वहीं पत्ती माहू, पत्तियों का रस चूसता है। दोनों ही कीट प्रभावित फसल में चिपचिपा मीठा तरल पदार्थ छोड़ देते है। जिससे कभी कभी फसल में चीटियों का प्रकोप भी देखने को मिलता है। तापमान बढ़ने से फसल पर इस कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। यह कीट फसल को 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है।
अधिकाइयों ने जानकारी दी की फसल पर इस कीट का प्रकोप बड़ी तेजी से फैलता है। फसल पर इस कीट का प्रकोप अधिक होने पर इस कीट को नियंत्रित करना अक्सर मुश्किल हो जाता है। कीट का अधिक प्रकोप होने पर फसल की पत्तियां पीली पड़ कर सूखने लगती हैं एवं विकृत हो जाती हैं। आमतौर पर नीचे की पत्तियां पहले पीली पड़ती हैं और ऐसे पौधों को उखाड़कर देखने पर रूट एफीड (माहू) झुंड में आसानी से जड़ों एवं पत्तियों के अंदर चिपकते हुए देखा जा सकता है।
जड़ माहू कीट प्रबंधन
अगर बात जड़ माहू कीट प्रबंधन कि की जाए तो कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जानकारी देते हुए बताया की इस कीट के प्रबंधन हेतु इमीडाक्लो-प्रिड 17.8 एस.एल. दवा की 70 एम.एल. मात्रा प्रति एकड़ अथवा एसीटामेप्रिड 20 प्रतिशत एस.पी. दवा की 150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ अथवा थायोमिथाक्जॉरम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी दवा की 50 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ को 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिड़काव करें। यह दवाएं सिस्टेमिक प्रकार की होती है जिनसे पूरा पौधा जहरीला हो जाता है और जब कीट या रस चूसता है तो वह मर जाता है।
सरसों में माहू प्रबंधन
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है की सरसों में माहू पत्तियों, कोमल भागो, फूलों एवं पत्तियों से रस चूसते है जिससे उपज कम हो जाती है। जब इस कीट का प्रकोप औसतन 10 प्रतिशत पौधों पर या 25 कीट प्रति पौधा से ज्यादा हो जाये तो इनमें से किसी एक कीटनाशक का प्रयोग करें। एसीटामेप्रिड 20 प्रतिशत की 100-150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव करे या थायोमिथाक्जॉेम 25 प्रतिशत की 100-150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव करे यदि जरूरत हो तो छिड़काव को दोहराएं।