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एमपी के 15 सौ सरकारी विद्यालयों में पेयजल की व्यवस्था नहीं, वहीं 11 हजार में शौंचालयों का अभाव
MP News: प्रदेश में स्कूल शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद अभी भी हजारों विद्यालय बुनियादी सुविधाओं से दूर है। हालात यह है कि स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालयों तक की व्यवस्था नहीं है। शौचालयों और हैंडवाश यूनिट के लिए केन्द्र से अलग बजट स्वीकृत किया जाता है। इसके बाद भी प्रदेश के हजारों विद्यालयों में हाथ धोने की कल्पना करना ही मुश्किल है, क्योंकि उन्हें शौच आदि के लिए स्कूल से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में राज्य शिक्षा केन्द्र ने एक बार फिर स्वच्छ भारत कोष को 8500 स्कूलों में शौचालयों के निर्माण के लिए बजट स्वीकृत करने का प्रस्ताव भेजा है। जारी आंकड़ो के अनुसार प्रदेश में 98963 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में से 11 हजार में विद्यार्थियों के लिए शौचालय नहीं है, 34 हजार में हैंडवाश और 15 सौ विद्यालयों में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि डेढ़ हजार विद्यालयों में क्लासरूम तक नहीं है, तो 22 हजार विद्यालयों के कक्ष जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं। इनमें 19 हजार को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। बुनियादी सुविधाओं के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) को इस वर्ष फिर अलग प्रस्ताव भेजा गया है।
36 हजार विद्यालयों में बिजली का अभाव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के तहत ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देना है। स्मार्ट क्लासरूम और कम्प्यूटर की शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। अब ऐसे में जब विद्यालयों बिजली की व्यवस्था नहीं होगी तो स्मार्ट क्लास की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रवेश के 32541 सरकारी विद्यालयों में खेल का मैदान तक नहीं है।
वर्जन
सरकारी विद्यालयों में जो भी कमियां है उसे जल्द दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। विद्यालयों में शौचालयों की व्यवस्था करने के लिए बजट का प्रस्ताव भेजा गया है। अन्य सुविधाओं को भी प्राथमिकता से निराकरण किया जाएगा।
धनराजू एस, संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र
Ankit Pandey | रीवा रियासत
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