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मध्य प्रदेश में है दुनिया का सबसे अद्भुत रहस्यमयी पहाड़, चट्टानों से आने वाली ध्वनि करती है मंत्रमुग्ध
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास जिले (Dewas District) में स्थित देवझिरी मे कोटला के जंगल से सटे कावड़िया पहाड़ (kavadia mountain) विश्व का दुर्लभ पहाड़ है। कहा जाता है कि इस पहाड़ से मधुर वाद्य यंत्रों की ध्वनि सुनाई देती है यह अपने आप में आश्चर्यचकित करने वाली घटना है। इस पर पुरातत्व विभाग की टीम जांच कर चुकी है लेकिन अभी कोई ठोस तथ्य हाथ नहीं लगे जिससे यह कहा जा सके के पहाड़ से आने वाली ध्वनि मुख्य वजह क्या है। आज भी यह एक रहस्य बना हुआ है।
वही इस पहाड़ से जुड़ी हुई और भी कई आश्चर्यचकित करने वाले तथ्य मौजूद हैं जिन पर पुरातत्व विभाग के साथ ही भूगर्भ से जुड़े वैज्ञानिक जानकार एवं साहित्य ज्ञाताओ का अपना अपना मत है। इस पहाड़ के संबंध में इतिहास में भी कई प्रचलित है। आज इस समाचार के माध्यम से हम वह सब जानकारी दे रहे हैं।
ऐसी है पहाड़ की संरचना
पहाड़ का नाम लेते ही व्यक्ति के मस्तिष्क में पत्थर मिट्टी और पौधों से रचा बना ढेर की प्रतिमा अंकित होने लगती है। लेकिन इस पहाड़ में मिलने वाले पत्थर दुर्लभ हैं। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पहाड़ में पाए जाने वाले पत्थर बेसाल्ट के हैं। जो अमूमन अधिक मात्रा में एक जगह नहीं पाए जाते। यह प्रकृति का उपहार ही है।
चट्टाने लोहे के छड जैसी
5 किलोमीटर की एरिया में फैला करीब ढाई हजार मीटर लंबा पहाड़ सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। पहाड़ से आने वाली ध्वनि लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। पहाड़ की संरचना कुछ ऐसे है कि दूर से देखने पर लोहे की छड़ जैसी दिखाई देती हैं।
अद्भुत है संरचना
इस लंबे चौड़े पहाड़ की संरचना कुछ ऐसी है जिसे देखने पर लगता है एक के ऊपर एक पत्थरों को रखकर पहाड़ बनाया गया है। पहाड़ में मिलने वाले पत्थर छह और अष्ट कोणीय हैं। पत्थरों का आकार देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन्हें किसी फैक्ट्री में तैयार किया गया हो।
जुड़ी है कई कहानियां
स्थानीय लोगों की माने तो कहा जाता है पत्थर देखने में अत्यंत सुंदर होने के बाद भी लोग इसे ले नहीं जा पा रहे। कई बार उठाने का प्रयास किया गया लेकिन यह उठे ही नहीं। यहां तक कहना है की पहाड़ के पत्थरों को ले जाने के लिए अंग्रेजों ने रेलवे लाइन बिछाई थी। लेकिन पत्थर न उठने के वजह से उनका यह प्रयास असफल रहा। पत्थर अपने स्थान से हिले तक नहीं।
महाभारत काल के हैं पत्थर
कहा जाता है कि इस पहाड़ को भीम ने बनाया था। एक बार भीम ने नर्मदा से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। जिस पर नर्मदा ने शर्त रखते हुए कहा था की अगर मेरे प्रवाह को मुर्गे की बाग के पहले रोक लो तो मैं तुमसे विवाह कर लूंगी। भीम ने उसी समय इस पहाड़ को बनाकर प्रवाह रोकने का प्रयास किया लेकिन प्रवाह रुकने के पूर्व ही मुर्गे ने बाग दे दी थी।