मध्यप्रदेश

MP में यहाँ की अजब-गजब प्रथा, बच्चों को डालतें है गोबर में, तो लोगों के ऊपर से गुजारी जातीं है गाये

MP में यहाँ की अजब-गजब प्रथा, बच्चों को डालतें है गोबर में, तो लोगों के ऊपर से गुजारी जातीं है गाये
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एमपी के धार में दिवाली के दूसरे दिन अनूठी परंपरा, बच्चों को डाला गाय के गोबर में, तो लोगों के ऊपर से गुजरी गायें

MP Goverdhan puja: दीपावली के दूसरे दिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) और देवास (Dewas जिले में एक अनोखी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। इस परंपरा के अनुसार गाय के नीचे लोग लेट जाते हैं और दौड़ती हुई गाय उनके ऊपर से निकलते हैं। वही शाजापुर में बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए दीपावली के दूसरे दिन बच्चों को गाय के गोबर में डाला जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे बीमार नहीं पड़ते।

दौड़ती हुई गुजरती हैं गाय

गोवर्धन पूजा के बाद धार में गोहरी का पर्व मनाया जाता है। इसके लिए सबसे समाज के लोग शीतला माता मंदिर में विधि विधान से पूजा करते हैं। इसके पश्चात जिन लोगों की मन्नते पूरी हो जाती हैं वह भी वहां एकत्र होते हैं। लोगों को मंदिर के सामने वाली सड़क पर पेट के बल लिटा दिया जाता है। इसके पश्चात उनके ऊपर से दौड़ती हुई गाय गुजरती हैं। इस वर्ष 20 से अधिक लोग मन्नत पूरी होने के बाद इस आयोजन में शामिल हुए।

कई बार लोगों को इस विधि को पूरा करने में गंभीर चोटें भी लग जाती हैं। लेकिन श्रद्धा और भक्ति में लीन लोग इसका निर्वहन विधि-विधान पूर्वक करते चले आ रहे हैं।

गोबर के ढेर में लेटाई जाते हैं बच्चे

शाजापुर के समूचे क्षेत्र में सैकड़ों वर्षो से चली आ रही एक ऐसी परंपरा है जिसे सुनकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। जानकारी के अनुसार दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इसके लिए गाय के गोबर को एक जगह एकत्र कर पर्वत का रूप दिया जाता है। इस पर्वत की विधि विधान से पूजा की जाती है। बाद में बच्चे वर्ष भर निरोगी रहें इस मान्यता के अनुसार उनको उस गोबर के ढेर में लिटा दिया जाता है।

होती हैं भैंसे की लड़ाई

रायसेन में एक मान्यता के अनुसार यादव समाज के लोग दीपावली के दूसरे दिन भैंसे को लड़ाने की परंपरा है। इस वर्ष कलुआ और भूरा नाम के दो भैसों को लड़ाया गया। परिणाम सामान्य रहा न कोई हारा न कोई जीता। लेकिन यह इस परंपरा का निर्वहन लोग बरसों से करते चले आ रहे हैं।

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

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