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एमपी: सामने आई फॉरेस्ट अधिकारी की अजीब हरकत, ऑफिस के सामने था मंदिर, नहीं अच्छा लगा तो खड़ी करवाई दीवार
MP Bhopal News: मध्य प्रदेश के राजधानी स्थित अर्जुन नगर में 1956 से स्थापित प्रतिष्ठित काली माता के मंदिर को फॉरेस्ट विभाग के एक अधिकारी दीवार खडी करवा कर कैद करवा दिया। आस्था पर पहुंची इस चोट का इतना तीव्र असर हुआ कि भारी संख्या में स्थानीय लोग तथा स्वयं स्थानीय विधायक पीसी शर्मा पहुंच गए। देर से ही सही वन विभाग के अधिकारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ और बिना किसी विरोध के स्थानीय लोगों ने दीवार को तोड़ दिया।
क्या है मामला
मिली जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल में वन विभाग का एक भवन मंदिर के पीछे बन रहा था। बताया जाता है कि जिस जगह मंदिर स्थापित है वह भूमि वन विभाग की है। लेकिन मंदिर 1956 का बना हुआ है। लोगों की आस्था का केंद्र है। काली माता की पूजा विधि-विधान से होती है। इसके बाद भी वन विभाग के अधिकारी इतने बेपरवाह हो गये और मंदिर को बंद करने दीवार खड़ी करवा दी।
पहुंच गए स्थानीय लोग
बताया जाता है कि मंदिर को कैद करवा देने की जानकारी जैसे ही स्थानीय लोगों को हुई भारी तादाद में स्थानीय लोग पहुंचने लगे। वही संस्कृति बचाओ मंच के कार्यकर्ता तथा कांग्रेस के स्थानीय विधायक पीसी शर्मा तथा पार्षद योगेंद्र सिंह गुड्डू मौके पर पहुंच गए। लोगों ने अपना विरोध वन विभाग को दर्ज करवाया।
अधिकारियों ने कहा वन विभाग की है संपत्ति
जब स्थानीय लोगों ने काली माता के मंदिर को कैद करवा देने का विरोध शुरू किया तो वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि यह मंदिर उनकी जमीन पर बना हुआ है। लेकिन मामला आस्था से जुड़ा हुआ था और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वन विभाग दीवार तुड़वाने के लिए सहमत हो गया।
1956 के पहले से बना हुआ है मंदिर
जिस काली माता के मंदिर को वन विभाग के अधिकारी ने दीवार से चुनवा दिया था उस मंदिर का इतिहास 1956 से पहले का है। बताया जाता है कि इस आश्रम की स्थापना शांडिल्य जी महाराज द्वारा की गई थी। साथ ही उन्होने काली माता की प्रतिमा स्थापित की गई थी। इस मंदिर में तब से आज तक लगातार अखंड ज्योति जल रही है।
अभी भी फंसा हुआ है पेच
इस पूरे मामले में मंदिर के बाहर खड़ी की गई दीवार को अवश्य तोड़ दिया गया है। लेकिन अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि मंदिर को वन विभाग ने अपने परिसर के अंदर कर रखा है। जिससे लोगों के आने जाने में व्यवधान उत्पन्न होगा। लोगों द्वारा मंदिर को वन विभाग के परिसर से बाहर करने की मांग कर रहे हैं।