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आस्था या अंधविश्वासः एमपी के गोटमार मेले में चले जमकर पत्थर, 330 लोग घायल
Gotmar Mela Chhindwara News: परंपरा के नाम पर इसे आस्था कहे या अंधविश्वास, लेकिन विगत वर्षो की तरह इस वर्ष भी शानिवार को एमपी के छिदवाड़ा जिला अंतर्गत पांढुर्णा के जाम नदी के किनारे हुए गोटमार मेले में 330 लोग घायल हो गए। बताया जाता है कि घायलों में कई लोग गंभीर है और उन्हे ईलाज के लिए नागपुर ले जाया गया है।
पांढुर्णा और सावरगांव के बीच हुआ खेल
छिदवाड़ा जिले में होने वाला यह विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला मां चंडी की पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ। पांढुर्णा में जाम नदी के किनारे हुए गोटमार मेले में पांढुर्णा और सावरगांव पक्ष के बीच जाम नदी के दोनो तरफ से जमकर पत्थरबाजी हुई है। जिसमें एक दूसरे पर पत्थर बरसा रहे लोगो के साथ ही इस परंपरा को देखने के लिए लोगो का भारी हुजूम एकत्रित रहा।
ऐसे शुरू हुआ मेला
जानकारी के तहत मेले में सबसे पहले सुबह पलाश के पेड़ रूपी झंडे को पांढुर्णा और सावरगांव का विभाजन करने वाली जाम नदी में मजबूती से गाड़ दिया गया। जिसके बाद सुबह 11 बजे से पत्थरबाजी का दौर शुरू हुआ, दोपहर 3.40 बजे जब पांढुर्णा की टीम ने झंडा तोड़ा, इसके बाद मेले के समापन की विधिवत घोषणा की गई। पोला पर्व के साथ ही पांढुर्णा में गोटमार शुक्रवार को देर शाम ही शुरू हो गया था। जिसमें कुछ लोग पत्थर मारते नजर आए। हर साल जिद और जुनून के साथ हजारों लोग इस खेल में शामिल होते हैं। ग्रामीण खुद यहां पत्थर एकत्रित करते हैं ताकि एक-दूसरे पर फेंक सके।
प्रशासन रहा बेबस
गौरतलब है कि वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है। हजारों की संख्या में लोग घायल हो चुके हैं। मानवाधिकार संगठन भी इस मेले पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर चुका हैं, तो वही स्थानिय प्रशासन ने धारा 144 लागू कर रखी थी। इतना ही नही वहां पुलिस भी मौजूद रही, लेकिन परंपरा और आस्था के नाम पर खेले जा रहे इस खेल के दौरान प्रशासन भी बेबस रहा। हांलाकि नदी के दोनों तरफ घायलों को ईलाज के लिए चिकित्सा कैंप लगाए गए थें। जहां मौजूद डॉक्टर घायलों की मरहम पट्टी आदि करके ईलाज किए तो वही गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल रेफर किए।