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मध्यप्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिये बढ़ी सरगर्मी, सत्र 22 से, विंध्य की दावेदारी प्रबल...
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र (Budget session of Madhya Pradesh Legislative Assembly) 22 फरवरी से शुरू हो रहा है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद (Madhya Pradesh Assembly Speaker and Deputy Speaker) को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है कि विधानसभा का राजनैतिक प्रतिनिधित्व किसके हाथ जायेगा। प्रदेश भर की नजरें विधानसभा अध्यक्ष को लेकर टिक गई है।
इतिहास दोहरा सकता है
विधानसभा अध्यक्ष को लेकर जिस तरह से खबरे आ रही है। उसके तहत विंध्य क्षेत्र एक बार फिर विधानसभा में अपना इतिहास दोहरा सकता है। अध्यक्ष पद पर विंध्य की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत नजर आ रही हैं। तो वहीं महाकौशल या फिर अन्य क्षेत्र से विधानसभा अध्यक्ष बनाया जायेगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।
ज्ञात हो कि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह शासन काल में विधानसभा अध्यक्ष पद पर रीवा से श्रीनिवासी तिवारी आसीन हुये थे। वे 10 वर्ष तक विधानसभा अध्यक्ष रहे है। तो वही अब विंध्य की झोली फिर से अध्यक्ष पद अगर जाती है तो उसमें वरिष्ठ भाजपा नेताओं में रीवा के देवतालाब विधायक गिरिश गौतम एवं सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला के अलावा नागौद विधायक नागेंद्र सिंह का नाम तेजी के साथ सामने आ रहा है। वहीं महाकौशल से अजय विश्नोई भी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में है।
सरकार में विंध्य की है भागीदारी
प्रदेश में सत्तासीन हुई भाजपा सरकार को सत्ता तक पहुचने में विंध्य की अहंम भूमिका है। विंध्य क्षेत्र में 30 विधानसभा है। जिसमें से 25 भाजपा के विधायक चुने गये है। उस हिसाब से विंध्य क्षेत्र को कैबिनेट में जगह नही मिल पाई है। विंध्य से वर्तमान में तीन मंत्री है। जिनमें से बिसाहूला साहू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुचे हैं। ऐसे में भाजपा से महज उमरिया क्षेत्र की विधायक मीना सिंह एंव सतना क्षेत्र के विधायक रामखेलावन पटेल कैबिनेट में हैं, जबकि जिस तरह से विध्य ने भाजपा की झोली में विधायक दिये और सरकार बनी उस हिसाब से 6 मंत्री विंध्य से होने चाहिये। अभी तीन मंत्रियों की कंमी बनी हुई है। जिससे माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष विध्य से बना कर इस कंमी को कुछ हद तक पूरा किया जा सकता है।
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शिविर में विंध्य के विधायकों की अनुपस्थित चर्चा में
हाल ही में प्रदेश के विधायकों का एक शिविर उज्जैन में आयोजित किया गया था। चर्चा है कि इस शिविर में विंध्य के विधायकों की उपस्थिती कंम रही है। जिसे पार्टी ने गंभीरता से लिया है। पूर्व में भी विंध्य के विधायक प्रदेश के र्शीष नेताओं के समझ अपना आक्रोश व्यक्त कर चुके है। यही वजह है कि पार्टी विधानसभा अध्यक्ष पद विंध्य की झोली में डालकर नाराज विधायकों को संतुष्ट करने का प्रयास कर सकती है।
उपाध्यक्ष पद उहापोह की स्थित
विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर उहापोह की स्थित बनी हुई है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी उपाध्यक्ष अपनी पार्टी का बनना चाहती है, तो वही भाजपा भी कांग्रेस के पिछले कार्यो का हवाला देकर उक्त पद को भी अपनी ही पार्टी में खाते में रखने का प्रयास करेगी। बहरहाल उॅट किस करवट बैठता है यह तो 22 फरवरी को ही तय होगा।
(रीवा से वीरेश सिंह बघेल की रिपोर्ट)