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एमपी के जबलपुर और रीवा संभाग के 14 जिलों से लाए गए करोड़ों रुपए के स्टाम्प को किया नष्ट
मध्यप्रदेश के जबलपुर और रीवा संभाग के 14 जिलों से लाए गए करोड़ों रुपए के स्टाम्प को नष्ट कर दिया गया। ई-स्टाम्प प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद यह प्रचलन से बाहर हो गए थे। कोष एवं लेखा विभाग ने रद्दी करार देते हुए इन स्टाम्पों को नष्ट करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद इनके विनष्टीकरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
कटर मशीन से काटा गया
एमपी के जबलपुर में इन स्टाम्पों को नष्ट करने की प्रक्रिया की गई। कोष एवं लेखा विभाग से निर्देश मिलने के बाद जबलपुर और रीवा संभाग के 14 जिलों से लाए गए करोड़ों के स्टाम्प को विनष्ट किया गया। शासन के निर्देश पर प्रशासन, कोषालय और पंजीयन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में इनको कटर मशीन से काटने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इनमें लगी चांदी की पतली तार को अलग कर लिया गया। जबकि काटने के बाद स्टाम्प पेपरों की कतरनों को ठेकेदार को बेच दिया गया।
5सौ से लेकर 25 हजार रुपए तक के थे स्टाम्प
जिले के कोषालय में रखे यह स्टाम्प प्रचलन से बाहर हो गए थे। वर्ष 2015-16 के बाद से ई-स्टाम्प के माध्यम से रजिस्ट्रियां होने लगीं ऐसे में इनका उपयोग नहीं रह गया। आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग की ओर से डिपो में रखे स्टाम्प पेपर को विनष्ट करने के निर्देश कोषालय अधिकारियों को दिए गए। इनमें 5सौ रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक के स्टाम्प पेपर शामिल थे जिनके विनिष्टीकरण किया गया।
इन जिलों के स्टाम्प पेपरों को किया नष्ट
एमपी के रीवा, सतना, सीधी, कटनी, सिवनी, शहडोल, उमरिया, छिंदवाड़ा, सिंगरौली, डिंडोरी, बालाघाट, नरसिंहपुर, मंडला, अनूपपुर जिले के कोषालयों से स्टाम्प को जबलपुर लाया गया। इस लाट में सर्वाधिक 62 करोड़ 89 लाख 69 हजार 900 रुपए के स्टॉप पेपर रीवा जिले से लाए गए। कलेक्ट्रेट परिसर में इनके विनष्ट करने की वीडियोग्राफी भी हुई। इस दौरान पुलिस भी मौजूद रही। नष्ट किए गए स्टाम्प का कुल मूल्य 347 करोड़ 18 लाख 94 हजार रहा। जिनमें 5सौ से 25 हजार रुपए तक के स्टाम्प शामिल थे। नष्ट किए गए स्टाम्पों की कुल संख्या 7 लाख 65 हजार 638 रही। जबकि जबलपुर जिले के एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के स्टाम्प इसके पूर्व ही नष्ट किए जा चुके हैं।
इनका कहना है
इस संबंध में वरिष्ठ कोषालय अधिकारी विनायिका लकरा के मुताबिक जबलपुर जोन में आने वाले सभी 14 जिलों से 100 रुपए से अधिक मूल्य वाले स्टाम्प मंगवाकर शासन के नियमों के अनुसार उनका विनष्टीकरण किया गया। जिसमें 5सौ से लेकर 250 हजार रुपए तक के स्टाम्प पेपर शामिल थे। अब रजिस्ट्री अथवा अन्य कार्यों के लिए 100 रुपए से ऊपर के स्टाम्प ऑनलाइन जनरेट हो रहे हैं। शासन ने छपे हुए स्टाम्प के विक्रय के लिए समय दिया था किंतु अधिकतम स्टाम्प स्ट्रांग रूम में ही पडे़ रहे। सरकार ने जब 100 रुपए के नीचे के छोड़कर स्टाम्प पेपर की बिक्री पर रोक लगाई तो रद्दी हुए स्टाम्प की स्थिति सामने आ गई। शासन से मिले आदेश के तहत अप्रचलित नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर को विनष्ट करने की प्रक्रिया की जा रही है।