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एमपी के खंडवा में दंगा भड़काने व पुलिस पर हमला करने वाले 40 आरोपियों को सात-सात वर्ष की सजा
खंडवा कोर्ट ने दंगा भड़काने और पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले के मामले में एक साथ 40 आरोपियों को सात-सात वर्ष की सजा सुनाई है। मंगलवार की देर रात तक दोषियों को जेल भेजने की कार्रवाई चलती रही। जिसके लिए कोर्ट परिसर को ही अस्पताल में तब्दील कर मोबाइल व टॉर्च की रोशनी के माध्यम से दोषियों का मेडिकल परीक्षण किया गया।
आठ साल से चल रहा था मामला
दंगा भड़काने और पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले के मामले में कुल 47 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस दौरान एक आरोपी की मौत हो गई जबकि दो को बरी कर दिया गया। वहीं चार आरोपी नाबालिग थे जिन्हें इस मामले से अलग रखा गया। मामला पिछले आठ साल से कोर्ट में चल रहा था। कोर्ट परिसर में मंगलवार दोपहर से ही भीड़ जुटने लगी थी। खंडवा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कोर्ट ने दंगा भड़काने और जानलेवा हमले के मामले में एक साथ 40 आरोपियों को सात-सात वर्ष की सजा सुनाई।
इनको हुई सजा
खंडवा कोर्ट द्वारा जिन आरोपियों को सात-सात वर्ष की सजा सुनाई गई है। उनमें मो. जावेद, मो., रजाक, मो. आयुर, हफीज, कलीम, जुहूर, शब्बीर शेख, मो. अली, हाजी सलामुद्दीन, फिरोज तिगाला, शेख सलीम, शेख आरिफ, शेख यूसुफ, शाकिर खिलजी, सरवर उर्फ कालिया, इशाक, अजीज खां, शाकिर, इस्माइल पिंजारा, शेख जाकिर, मो. वसीम शाह, मो. इरशाद, मो. एजाज, मो. इशाक, मुबारिक, इश्त्याक खान, रईस खां, अशरफ, सलमान उर्फ मोनू, मो. अजहर, हारुन उर्फ कटोरा, शब्बीर, सलाउद्दीन, खालिक, इमरान, अब्दुल्ला, फारुख, शेख जाफर शामिल हैं।
क्या था मामला
खंडवा के इमलीपुरा में सुशील पुंडगे निवासी नर्मदापुरम की लोगों द्वारा हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद शहर में तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी। 30 जुलाई 2014 को हुई इस घटना के बाद कलेक्टर ने धारा 144 लगाते हुए कर्फ्यू की घोषणा कर दी थी। इस दौरान 1 अगस्त 2014 को घासपुरा क्षेत्र में कुछ उपद्रवियों द्वारा आदेश का उल्लंघन किया जा रहा था। ड्यूटी पर तैनात तत्कालीन एएसआई गीता जाटव एवं अन्य पुलिसकर्मियों ने जब इनको पकड़ा तो आरोपियों द्वारा पुलिसकर्मियों पर खौलता हुआ गरम पानी फेंका गया। जिससे वे झुलस गए थे। इनके द्वारा पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर जान से मारने की कोशिश भी की गई। इस दौरान आरोपियों द्वारा पथराव भी किया गया था।