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रीवा / आपातकाल के दौरान हुए जघन्य अपराधों और यातनाओं को जन-जन पहुंचाने भाजपा कार्यालय में हुई संगोष्ठी
रीवा. भारतीय जनता पार्टी कार्यालय अटल कुंज में 25 जून को आपातकाल के दौरान हुए जघन्य अपराधों एवं दी गई यातनाओं की बातों को जन जन तक पहुचाने के उद्देश्य से पार्टी कार्यालय अटल कुंज में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जिलाध्यक्ष अजय सिंह ने शाल श्री फल देकर मीसाबंदियों का सम्मान भी किया जिसमे केशव पाण्डेय, अर्जुन सिंह चौहान जी, हरीराम घंसनी जी, जनार्दन मिश्रा, राजेंद्र ताम्रकार रहे.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक श्री प्रभाकर सिंह जी रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष अजय सिंह जी ने की विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद श्री जनार्दन मिश्रा जी एवं देवतालाब के लोकप्रिय विधायक श्री गिरीश गौतम जी रहे, सर्वप्रथम महापुरुषों की प्रतिमाओं के समक्ष दीप प्रज्वलन किया गया तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत हुआ.
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इसके बाद देवतालाब के लोकप्रिय विधायक गिरीश गौतम जी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा की इतिहास में 28 जून का दिन आपातकाल के समय की कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में से एक का गवाह है. 26 जून, 1975 को इंदिरा गांधी सरकार द्वारा आपातकाल की घोषणा की गई थी. इसके दो दिन बाद ही, यानी 28 जून, 1975 को राजनीतिक विरोधियों और आंदोलनकारियों की गतिविधियों पर पहरा बिठाने के साथ प्रेस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. ब्रिटिश शासन के बाद ऐसा पहली बार हुआ था.
आपातकाल के समय आलम यह था कि समाचार पत्रों में छपने वाली खबरों को सेंसर किया जाने लगा. उन्हें छापने से पहले सरकार की अनुमति लेने की बंदिश लगा दी गई. बताया जाता है कि आपातकाल के दौरान 3,801 समाचार-पत्रों के डिक्लेरेशन जब्त कर लिए गए. 327 पत्रकारों को ‘आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम’ के नाम पर बंद कर दिया गया और 290 अखबारों के विज्ञापन रोक दिए गए. हालात इस कदर बिगड़े कि टाइम और गार्डियन जैसे विदेशी प्रेस संस्थानों के समाचार-प्रतिनिधियों को भारत से जाने के लिए कह दिया गया. अन्य एजेंसियों के टेलेक्स और टेलीफोन काट दिए गए थे.
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आज की युवा पीढ़ी को आपातकाल के दौर को याद दिलाने की आवश्यकता है, तब लोग ’आपातकाल’ जैसे शब्द से परिचित भी नहीं थे. लाखों लोगों को जेल में अकारण बंद कर दिया गया. अनेक तरह की यातनाएं दी गईं, 1975 में लगे आपातकाल के बाद जनता को जागरूक रहना चाहिए, वास्तव में पं. जवाहरलाल नेहरू ने देश में आपातकाल का बीजारोपण किया था और पहली कम्युनिस्ट सरकार को भंग कर दिया था. ’व्यक्ति से बड़ा दल, दल से बड़ा देश’ यह कहना आसान है लेकिन इसको जीना मुश्किल है. इंदिरा गांधी की अधिनायकवादी नीति ने लोकतंत्र के बुनियाद की धज्जियां उड़ा दी थीं.
सांसद श्री जनार्दन मिश्रा जी ने कहा की संघ ने रखी थी जेपी आंदोलन की नींव, जेपी आंदोलन और आपातकाल के संघर्ष में स्वयंसेवकों के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि लाखों स्वयंसेवकों ने आपातकाल के दंश को झेला है, जेल गए हैं और अनेक यातनाएं सही. वास्तव में जेपी आंदोलन की नींव स्वयसेवकों ने ही रखी थी. स्वयंसेवकों ने उनसे आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए आग्रह किया, इसके बाद देशभर में आंदोलन की शुरुआत हुई.
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक श्री प्रभाकर सिंह जी ने आपातकाल के दर्द को बयां करते हुए कहा कि मैंने प्रत्यक्ष तौर पर आपातकाल के दर्द को झेला है, आपातकाल देश का दूसरा सबसे बड़ा स्वतंत्रता संग्राम था. आपातकाल के विरुद्ध लाखों लोगों ने आंदोलन किया था. देशभर में युवाओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तारियां देनी पड़ी थीं. कई लोगों को जेल में रखा गया. अनेक यातनाएं दी गईं. उस समय सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा था.
सत्ता के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी इंदिरा गांधी नियंत्रण करने की कोशिश कर रही थीं. कोर्ट के आदेश के बाद भी इंदिरा गांधी ने इस्तीफा नहीं दिया. गुजरात में छात्रों और बिहार से जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन को देशव्यापी बनाने का कार्य किया.
प्रभाकर सिंह ने कहा कि आंदोलन को सक्रिय बनाने में संघ के स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन का नेतृत्व किया लेकिन उसको वास्तविक आधार देने में स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. स्वयंसेवकों ने रातोरात पर्चे बांटने और सूचनाओं के आदान-प्रदान का कार्य किया. इस कार्य में महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके इस योगदान पर शोध कार्य किया जाना चाहिए.
कुछ लोग आपातकाल के नाम पर लोकतंत्र को खोखला बना रहे हैं
आज ऐसे कई लोग हैं, जो कहते हैं कि देश में आपातकाल की स्थिति बन गई है. वास्तव में उन्हें आपातकाल के दर्द का अनुभव नहीं है. उन्हें पता ही नहीं है कि आपातकाल होता क्या है? जब शासन का उपयोग व्यक्तिगत स्वार्थ और परिवारवाद के लिए होता है, तो वह आपातकाल होता है. आज कुछ लोग आपातकाल के नाम पर लोकतंत्र को खोखला बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भाजपा जिला अध्यक्ष अजय सिंह ने आह्वान किया कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के इतिहास को अवश्य पढ़ना चाहिए. जो लोग अभी आपातकाल आने को लेकर अक्सर कयासबाजी करते रहते हैं, वे उस दौर में होते तो उन्हें अनुभव होता कि आपातकाल क्या होता है? उस समय कई परिवार बर्बाद हो गए, नौकरियां चली गईं, थानों-जेलों में लोग मर गए, चुन-चुनकर नेताओं के हाथ-पैर तोड़ दिए गए.
कार्यक्रम के अंत में भारत चीन सीमा रेखा में शहीद हुए रीवा के लाल दीपक सिंह को 2 मिनट का मौन रख कर स्राधांजलि दी गई. कार्यक्रम का सफल संचालन भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्य समिति सदस्य एवं करिक्रम सयोजक राजेंद्र ताम्रकार जी ने और आभार नरेन्द्र गुप्ता ने किया.
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कार्यक्रम में प्रमुख रूप से केशव पांडे भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य अर्जुन सिंह चौहान, राम सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, विमलेश मिश्रा, प्रज्ञा त्रिपाठी,ममता गुप्ता वीरेश पांडे,संतोष सिंह सिसोदिया,विवेक गौतम, रितेश मिश्रा,सुमन शुक्ला, विवेक दुबे, नारायण मिश्रा, सुरेंद्र सिंह,शिवम द्विवेदी, चिंटू सोनी, शेखर सचदेवा, सीएस तिवारी,जाने मिश्रा नरेंद्र गुप्ता, संजय गुप्ता, सुनील सोहगौरा, शरद साहू मौजूद रहें.
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