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लॉकडाउन में भी रीवा कैसे पहुंच रही नशीली कफ सिरप की खेप..शहर का नाम कर रहे बदनाम
लॉकडाउन में भी रीवा कैसे पहुंच रही नशीली कफ सिरप की खेप..शहर का नाम कर रहे बदनाम
क्यों कभी माफियाओं तक नहीं पंहुचे पुलिस के लंबे हाथ
पिछले 2 महीने से ज्यादा वक्त गुज़र चुका है, सब अपने घरों में कैद है, लॉकडाउन के शुरुआती महीने में जब रीवा वासियो को अनाज तक नहीं मिल रहा था तब भी नशीली कफ सिरप की बिक्री बराबर चल रही थी, और अबतक चल रही है। आज तक रीवा की होनहार पुलिस यह पता नहीं लगा पाई के आखिर यह अवैध नशीली सिरप की खेप कहाँ से सप्लाई हो रही है, जिसने एक पीढ़ी के भविष्य को बर्बाद कर दिया है। क्या आपको पता है रीवा जिला अब अपनी उपलब्धियों से ज्यादा माहोलियो के नाम से पहचाना जाने लगा है। चौकाने वाली बात यह है कि इसे पीने वाले बच्चे और थके हुए जवानों में माहौल को ले कर इतना क्रेज है कि इसके उपर गाना भी बना रहे है।
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कहाँ से आती है खेप
आज तक यह बात पुलिस नहीं पता कर पाई तो हम कैसे बता दें पता चला हमको ही भर के ले गए। खैर सुनी सुनाई बातों से जो पता चला है वो यह है कि नशीली कफ सिरप की खेप ज्यादातर सागर जिले से रीवा ,सतना, सीधी जैसे जिलो में सप्लाई की जाती है पहले ये मेडिकल स्टोर में बिकती थी फिर परचून की दुकानों में मिलने लगी और अब गली गली में। इसकी शहर और ग्रामीण इलाकों में सप्लाई के बड़े सेल्समैन अपने मेडिकल स्ट्रोर वाले भी है मगर वो तो दवाई के नाम से बेचते हैं तो वो कुछ भी कर सकते हैं। कुछ लोगों को 1, 2 पेटी सिरप के साथ पकड़ कर पुलिस अपना टारगेट पूरा कर लेती है मगर जो बड़े सरगना हैं वो अफसरों के बढ़िया मित्र होते हैं.... आगे समझ जाइये....
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मिर्गी आती है, दिमाग सुन्न हो जाता है मगर शौक बड़ी चीज है।
यह हर महोली के साथ होता है, कभी भी अचानक से मिर्गी जैसा दौरा पड़ जाना, दिमाग सुन्न हो जाना, चोरी करना, और बड़े बड़े अपराध करना यह सब आम हो जाता है। दोस्त लोग एक दूसरे पर चाकू फेर देते हैं। बचपन से पीने वाले बड़े ही नहीं हो पाते जो बड़े हो भी जाते हैं तो बड़े कहलाने लायक नहीं होते। एक बार मिर्गी आना शुरू होती है तो इसकी भी आदत लग जाती है, रीवा शहर में कई बार देखे होंगे सड़क में पड़े रहते है माहौल लेते। यह मजाक की बात नहीं बहुत गंभीर बात है कि जिन बच्चो के हाथ मे बैट-बॉल , होना चाहिए वो चाकू ले कर तफरी मरते है, नशे के लिए चोरी करते है। कुल मिला कर हम सब एक जेनरेशन को बर्बाद होते देख रहे हैं और कुछ नहीं कर सकते।
नालों में पानी से ज्यादा बोतलें।
शायद ही ऐसा कोई इलाका बचा हो रीवा में जहां कफ सिरप की बोतलें न पड़ी हों। पार्क से ले कर पार्किंग, स्कूल से ले कर कॉलेज, नदी से ले कर नाले हर जगह। वो कहते हैं न जैसे कण कण में भगवान होते हैं वैसे ही यहाँ गली गली में शक्तिमान घूमते है। नालों में इस हद तक बोतल पड़ी रहती हैं कि जब कभी सफाई होती है तो कबाड़ी लखपति बन जाता है।
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वो कफ सिरप भी नहीं है ,मिलावटी सामान हैं
आज कल का जमाना ही ऐसा है जिसको महोली कफ सिरप के नाम पर कोल्ड ड्रिंक के जैसे पी जाते है वो वास्तविक में कफ सिरप है ही नहीं। कुछ दिव्य पुरुषों ने बताया है कि वो बस शक्कर के घोल में कुछ केमिकल और नींद की गोली का मिश्रण हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके कुछ प्रोडक्ट तो रीवा में भी चोरी छिपे बनते है। और भोले भाले महोली उसके खासी ठीक करने की दवा मान कर पी जाते है। मतलब मिलावट की हद्द है।
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