रीवा

सोलर प्लांट के पास लगी आग ने धारण किया विकराल रूप, 8 किमी तक फैली, 300 हेक्टेयर जंगल ख़ाक

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:52 AM IST
सोलर प्लांट के पास लगी आग ने धारण किया विकराल रूप, 8 किमी तक फैली, 300 हेक्टेयर जंगल ख़ाक
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रीवा जिले के गुढ़ स्थित सोलर पावर प्लांट के पास जंगल में लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। आग पूरी तरह से बेकाबू हो चुकी है। अब तक इसकी व

रीवा। रीवा जिले के गुढ़ स्थित सोलर पावर प्लांट के पास जंगल में लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। आग पूरी तरह से बेकाबू हो चुकी है। अब तक इसकी वजह से 300 हेक्टेयर का जंगल ख़ाक हो चुका है, जबकि यह आग 8 किमी के दायरे को अपने चपेट में ले चुकी है, और तेज़ी से बढ़ती जा रही है।

बता दें गुढ़ वन क्षेत्र के मैनहा में भड़की आग वन विभाग की लापरवाही के कारण बेकाबू हो गई है। दो दिन तीन रात से लगातार आग फैलती जा रही है। इस पर काबू नहीं पाया जा सका है। करीब 300 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर राख हो चुका है।

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8 किमी तक फैली आग

आग 8 किमी के दायरे में फैल चुकी है। दायरा बढ़ता जा रहा है। हजारों पौधे, पेड़ खाक हो चुके हैं। टीम लगी है, लेकिन आग बुझा नहीं पा रहे हैं। वन विभाग को पर्यावरण के साथ ही लाखों रुपए की आर्थिक क्षति भी हुई है।

दो दिन पहले रात में एक चिंगारी से भड़की आग को वन विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है कि पूरा जंगल आग की लपटों से जलकर खाक हो गया है। सोलर पॉवर प्लांट से लेकर मोहनिया घाटी तक करीब 8 किमी के दायरे में आग फैल गई है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण वाटर टैंकर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

वनकर्मी ही झाडिय़ों से पीट कर और पत्ते काटकर आग पर काबू पाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। इस आगजनी से वन विभाग को लाखों का नुकसान हुआ है। इससे पर्यावरणीय क्षति भी हुई है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल है। रविवार की देर रात तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका था।

पांच प्लांटेशन थे, वे भी नष्ट

मैनहा बीट अंतर्गत पांच प्लोटेशन कराए गए थे। इसमें मैहना कक्ष क्रमांक 40 में करीब 45 हेक्टेयर में 30 हजार सागौन रोपण वर्ष 2017 में किया गया था। 20 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 15 हजार बांस का रोपण वर्ष 201415 में किया गया था। वह भी जल कर राख हो गया है। इसी तरह कक्ष क्रमांक 37 में 30 हजार सागौन, कक्ष क्रमांक 39 में वर्ष 2019 में 30 हजार सागौन के पौधे 30 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपे गए थे। कक्ष क्रमांक 41 में मिश्रित रोपण वर्ष 2018 में करीब 20 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 16 हजार पौधों का किया गया था। सभी पौधे जलकर राख हो चुके हैं। इस वन क्षेत्र में औषधीय पौधे, तेंदूपत्ता, बांस जैसे पेड़, पौधे जल चुके हैं।

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हालात बेकाबू, जबावदेही किसकी ?

वन क्षेत्र की जिम्मेदारी वन रक्षक अखिलेश पटेल और डिप्टी रेंजर गुढ़ के पास थी। इनकी लापरवाही के कारण ही आग ने पूरे जंगल को नष्ट कर दिया। सूत्रों की मानें तो दोनों ही समय रहते आग पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अधिकारी क्षेत्र में भी मौजूद नहीं रहते हैं, यही वजह है कि समय पर इस घटना की जानकारी भी अधिकारियों तक नहीं पहुंची।

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