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एमसीयू रीवा परिसर ने आयोजित किया वेबिनार, पढ़िए पूरी खबर

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:52 AM IST
एमसीयू रीवा परिसर ने आयोजित किया वेबिनार, पढ़िए पूरी खबर
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एमसीयू रीवा परिसर ने आयोजित किया वेबिनार, पढ़िए पूरी खबर 'जनसम्पर्क : अवधारणा, प्रकृति और संकटकालीन परिस्थितियों में भूमिका ' विषय पर हुआ

एमसीयू रीवा परिसर ने आयोजित किया वेबिनार, पढ़िए पूरी खबर

'जनसम्पर्क : अवधारणा, प्रकृति और संकटकालीन परिस्थितियों में भूमिका ' विषय पर हुआ व्याख्यान

रीवा। संकट के समय जनता को समस्याओं से उबारने, समस्या का बहादुरी से सामना करने के लिए प्रेरित करने और सही समय पर सही सूचना देकर जन-जीवन को सामान्य करने में जनसम्पर्क की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी संस्थान और जनता के बीच जनसम्पर्क सुव्यवस्थित और विवेकपूर्ण ढंग से किया जाता है।

जनसम्पर्क के दौरान यह सावधानी रखी जाती है कि संस्थान की छवि खराब न हो, झूठ का सहारा न लेना पड़े, नकारात्मकता फैलाने या छलकपट का सहारा लेने से भी बचना चाहिए। ये बातें माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसम्पर्क विभाग के अध्यक्ष व अधिष्ठाता अकादमी प्रो.पवित्र श्रीवास्तव ने रीवा परिसर द्वारा ‘जनसम्पर्कः अवधारणा, प्रकृति और संकटकालीन परिस्थितियों में उसकी भूमिका’ विषय पर आयोजित वेबिनार में कही।

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प्रो. श्रीवास्तव ने आगे कहा कि पूरी दुनिया के सामने कोरोना का संकट है। यह हमारे गांवों में, शहरों में व देश में न फैले इससे जुड़ी जो भी जानकारियां हैं वो सही वक्त पर, सही माध्यम से लोगों तक पहुंचे, जनसम्पर्क से जुड़े लोगों को इसके लिए तेजी से काम करने की आवश्यकता है। जनसम्पर्क से जुड़े लोगों के समक्ष संकट के समय अफवाह फैलने से जन-धनहानि की घटनाएं सदैव एक बड़ी चुनौती रहती है।

अफवाहों को रोकने के लिए लोगों से लगातार जुड़े रहना और सही सूचनाओं को लगातार प्रेषित करते रहना, साथ ही जनता की प्रतिक्रिया प्राप्त करना जनसम्पर्क का प्रमुख दायित्व है। समस्या प्रबंधन को कई उदाहरणों से समझाते हुए कहा कि जनता तक झूठी खबर हरगिज नहीं जानी चाहिए। अगर झूठ बोलकर समस्या को रोकने की कोशिश करेंगे तो समस्या और बढ़ेगी। तमाम सावधानियों के बावजूद बड़ी-बड़ी रेल दुर्घटनाएं व वायुयान दुर्घटनाएं हो जाती हैं। संबंधित जनसम्पर्क विभाग द्वारा अगर इन घटनाओं के बारे में सही जानकारी नहीं दी जाती है तो उसका दुष्परिणाम सामने आता है।

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कोरोना से लड़ाई में जनसम्पर्क के लिए सोशल मीडिया को सहायक बताते हुए फेक न्यूज को एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने जनता को इसके लिए जागरुक करना भी जनसम्पर्क का दायित्व बताया। कोरोना संकट में बड़ी संख्या में लोगों को डिप्रेशन का शिकार हो जाने की स्थिति में जनसम्पर्क का दायित्व है कि सही जानकारी देकर और सकारात्मक पक्षों को बार-बार सामने रखकर वह लोगों की मानसिक शांति में मदद कर सकता है। विपरीत से विपरीत परिस्थिति में जनसम्पर्क जनता को निराश होने से बचाने का प्रयास करता है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या से लोगों में घबराहट पैदा हो सकती है। इसलिए जनसम्पर्क में लगे लोग कई बार आंकड़ों की प्रस्तुति दिन और प्रतिशत में कर रहे हैं।

रीवा कैम्पस के प्रलेखन अधिकारी डॉ. बृजेन्द्र शुक्ल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रो. श्रीवास्तव का जनसम्पर्क के क्षेत्र में लम्बा अनुभव रहा है। इनके व्याख्यान से कोरोना जैसे विश्वव्यापी संकट के समय विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को जनसम्पर्क के महत्व के बारे में उपयोगी जानकारी हासिल हुई। वेबिनार को अत्यंत ही सफल व सार्थक बताते हुए प्रो. श्रीवास्तव का पूरे रीवा परिसर की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया।

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वहीं रीवा कैम्पस के कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर रवि साहू ने प्रो. श्रीवास्तव से विद्यार्थियों के हित में जनसम्पर्क के क्षेत्र में रोजगार की संभावना के बारे कई सवाल किये और उपयोगी व्याख्यान के लिए आभार जताया। इस अवसर पर अतिथि व्याख्याता जगमोहन सिंह राठौर, प्रदीप शुक्ल, डॉ.अनीता पाण्डेय, डॉ. आदित्य मिश्रा, प्रकाश नारायण त्रिपाठी, हरिओम यादव, नलिनी गुप्ता, विनोद दुबे, आराधना ताम्रकार, बबिता रानी घोष, अंकिता द्विवेदी व सुनील पाण्डेय समेत अजय कुमार, राजकुमार पाण्डेय, शशांक द्विवेदी, सुधाकर ओझा और उमेश तिवारी आदि विद्यार्थियों ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई।

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