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Rewa News : सफेद शेर की पैतृक स्थली दुबरी की खोती जा रही पहचान
Rewa News : सफेद शेर की पैतृक स्थली दुबरी की खोती जा रही पहचान
रीवा। सफेद शेर की पैतृक स्थली दुबरी को जो पहचान मिलनी चाहिए वह नहीं मिल सकी है। बल्कि मुख्य स्थान को दरकिनार कर रीवा को ज्यादा महत्व दिया गया। जबकि कहा जाता है कि सफेद शेर की जन्म स्थली सीधी जिले के कुसमी विकासखंड अंतर्गत दुबरी है। लेकिन इसकी पहचान खोती जा रही है। असली जन्मस्थली को लोग भूलते जा रहे हैं।
सफेद शेर को वापस लाने और उसकी पहचान को विश्व पटल पर रखा गया लेकिन पैतृक स्थली सीधी जिला होने के बाद भी अपनी पहचान को मोहताज है। रीवा महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव द्वारा सीधी से सफेद शेर को पकड़कर रीवा लाने के बाद उसकी जन्मस्थली के रूप मंे रीवा को प्रचारित किया जाने लगा। लिहाजा विश्व पटल में सफेद शेर की जन्म स्थली के रूप में रीवा का नाम आता है और सीधी जिले को दरकिनार कर दिया गया।
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कड़ी मशक्कत के बाद सफेद शेर की विंध्य में वापसी हुई। हालांकि सीधी जिले में संजय टाईगर रिजर्व की स्थापना के बाद से ही सफेद शेर को उसके मूल जन्म स्थान कुसमी विकासखंड अंतर्गत दुबरी अभ्यारण्य में लाने मांग की जाती रही लेकिन मूल स्थान पर सफेद शेर नहीं आ सका।
अब संजय गांधी टाइगर रिजर्व द्वारा सफेद शेर पकड़ने के चश्मदीद गवाह शिवधारी बैगा की प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया है। यह दुबरी को उसकी खोई पहचान दिलाने के लिए एक और प्रयास है जिससे लोग जान सकें कि सफेद शेर की पैतृक स्थली कहां है।
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दुबरी की खोई पहचान वापस लाने का प्रयास जारी
सफेद शेर को उसकी जन्मस्थली दुबरी लाने का प्रयास किया जा रहा है। संजय टाईगर रिजर्व सीधी द्वारा सफेद शेर मोहन को लेकर जो प्रयास शुरू किया है यदि वह सफल रहा तो संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के पूर्ण मूर्त रूप लेने के बाद सफेद शेर का आगमन उसकी जन्मस्थली दुबरी अभ्यारण्य में हो सकेगा और एक बार उसकी क्षेत्र में दहाड़ गूंजेगी। हालांकि जिस तरह से प्रयास होने चाहिए वह नहीं हो पा रहे हैं इसलिए विलम्ब है। जिलेवासियों को सफेद शेर आने का इंतजार है।
महाराजा को ऐसे मिला मोहन
महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव जंगल में शिकार के लिए गए हुए थे। जहां शेर के 6 नर, 5 मादा व 2 शवकों का शिकार करने के बाद सफेद बाघ को पकड़ा था। मार्तण्ड सिंह ने सफेद बाघ पकड़ने के बाद उसे रीवा पहुंचाया और सफेद बाघ के वंश को आगे बढ़ाने के लिये कई नायाब प्रयास किये। महाराजा के अथक प्रयासों के बाद सफेद शेर मोहन के वंशज में नई पीढ़ी तैयार हुई। जो आज पूरे विश्व में धरोहर के रूप में मौजूद हैं।