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मध्यप्रदेश
रीवा : कृषि विधेयक बिल को लेकर किसानों में आक्रोश, पढ़िए
Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 12:03 PM IST
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रीवा : कृषि विधेयक बिल को लेकर किसानों में आक्रोश, पढ़िएरीवा । सियासी घमासान के बाद कृषि विधेयक को मंजूरी मिल गयी है। जिसके बाद देश के कई
रीवा : कृषि विधेयक बिल को लेकर किसानों में आक्रोश, पढ़िए
रीवा । सियासी घमासान के बाद कृषि विधेयक को मंजूरी मिल गयी है।जिसके बाद देश के कई किसान संगठन और राजनीतिक दल विरोध में सड़कों पर उतर आए. मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। ऐसे में प्रदेश के किसान सरकार द्वारा लाया गया बिल का कितना समर्थन किया है यह उपचुनाव में आने वाले परिणाम में तय हो जाएगा। रीवा जिले के किसान बिल पर आक्रोश जताया है।किसान अरुण मिश्रा ने बिल का विरोध किया है।वहीं केंद्र सरकार जहां इन विधेयकों को किसानों को सशक्त बनाने का माध्यम बता रही है तो वहीं विपक्ष नेता कविता पांडे और ज़िले के किसान यह मानकर विरोध कर रहे हैं कि इस विधेयक के बाद किसान कॉरपोरेट घरानों के आगे मजबूर हो जाएंगे. वहीं कुछ किसान ऐसे भी जो इस पूरे मामले के राजनीतिकरण से कंफ्यूज हैं, उनकी मांग है कि सरकार आगे आए और किसानों की आशंकाओं को दूर करे और बताए कि किसानों को इस बिल से क्या फायदा.।अधिकारियों कर्मचारियों में मचा हड़कंप, अधिकारी की रिपोर्ट COVID19 पॉजिटिव
जिन विधेयक को मंजूरी मिली है उसमें कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 शामिल है। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 के तहत किसान या फिर व्यापारी अपनी उपज को मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से आसानी से व्यापार कर सकेंगे. इस बिल के अनुसार राज्य की सीमा के अंदर या फिर राज्य से बाहर, देश के किसी भी हिस्से पर किसान अपनी उपज का व्यापार कर सकेंगे. इसके लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी. मंडियों के अलावा व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, वेयर हाउस, कोल्डस्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिटों पर भी बिजनेस करने की आजादी होगी. बिचौलिये दूर हों इसके लिए किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का सीधा संबंध स्थापित किया जाएगा.“वनाधिकार महोत्सव” में जिले के 656 हितग्राही वनाधिकार हक प्रमाण पत्र से हुए लाभान्वित
भारत में छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है, करीब 85 फीसदी किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है, ऐसे में उन्हें बड़े खरीददारों से बात करने में परेशानी आती थी. इसके लिए वह या तो बड़े किसान या फिर बिचौलियों पर निर्भर होते थे। फसल के सही दाम, सही वक्त पर मिलना संभव नहीं होता था. इन विधेयकों के बाद वह आसानी से अपना व्यापार कर सकेंगे। कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक किसानों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ता है. यह कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उपज के दाम निर्धारित करने और बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन देता है. किसान को अनुबंध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी, वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेचेगा. देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं. ये एफपीओ छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।अवैध वसूली, जालसाज़ी ,जैसे गम्भीर आरोप लगा कर आयुक्त से की शिकायत
नए बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी को नहीं हटाया गया है ।पीएम नरेंद्र मोदी देय कर यह बात कह चुके हैं कि एमएसपी को खत्म नहीं किया जा रहा है। लेकिन 'बाहर की मंडियों'को फसल की कीमत तय करने की इजाजत देने को लेकर किसान आशंकित हैं। किसानों को इस बात का डर सता रहा है कि अगर निजी खरीदार सीधे किसानों से अनाज खरीदेंगे तो उन्हें मंडियों में मिलने वाले टेक्स का नुकसान होगा। कृषि सुधार के विधेयकों को लेकर मचे घमासान के बीच सरकार ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान कर दिया है. बिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने यह मंजूरी दी है. किसानों की चिंता को देखते हुए एक महीने पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य मंजूरी दे दी गई है. सरकार ने एमएसपी में 50 रुपये से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की है.किसानों से उनके अनाज की खरीदी FCI व अन्य सरकारी एजेंसियां एमएसपी पर करेंगी।विकलांग ने रची मार्डर मिस्ट्री, अपने ही प्रेमिका को दी ऐसी सज़ा की रूह कांप जाए, पढिये पूरी खबर
रबी मौसम के लिए चने की एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और यह बढ़कर 5100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है और यह 5100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.। सरसों के एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और यह बढ़कर 4650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 75 रुपये की वृद्धि के बाद यह 1600 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम के एमएसपी में 112 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ यह 5327 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.। [signoff]Aaryan Dwivedi
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