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एमपी में महीने भर पहले लागू हुए 'पेसा एक्ट' का विरोध शुरू
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गत माह लागू किए गए पेसा एक्ट का विरोध शुरू हो गया है। मांझी जनजातीय वर्ग के लोगों का कहना है कि इस एक्ट के माध्यम से हमारे पारंपरिक जल अधिकार को छीनने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है। मप्र माझी जनजातीय संयुक्त संघर्ष समिति जिला इकाई द्वारा पन्ना कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम इस संबंध मेंं ज्ञापन सौंपा गया है। इस दौरान समिति के लोगों ने पेसा एक्ट का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। समिति के लोगों ने पेसा एक्ट का वापस लेने की मांग की है।
कहां है समस्या
मांझी समाज के जिला अध्यक्ष संजय रैकवार ने बताया कि नदियों-तालाबों और बांधों में मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन, नौका संचालन माझी समाज रामायण काल से करता आ रहा है। जिसे सरकार ने पेसा एक्ट के माध्यम से छीनने का प्रयास किया है। इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
किया जाएगा उग्र आंदोल
समिति के लोगों ने कहा कि हमारा समाज एकजुट होकर इस कानून के विरोध मेंं संघर्ष करेगा। उन्होने कहा कि हमारे ही वोटों से सरकार बनाकर हमारे ही अधिकारों को छीनने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकार को मप्र मांझी जनजाति संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने चेतावनी देते हुए शीघ्र ही यह कानून वापस लिया जाए। अगर कानून वापस नहीं लिया गया तो समाज के लोग उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे। प्रदेश स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा। बताया गया है कि विगत माह ही प्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया गया है। इस एक्ट को जहां सरकार द्वारा खास वर्ग के लिए हितकारी बताया जा रहा है वहीं अब इसका एक्ट का विरोध भी समाज के लोगों द्वारा किया जा रहा है।
वंशानुगत मछुआरों को ही तालाब करें आवंटित
ज्ञापन के जरिए सरकार को यह भी अवगत कराया गया है कि मांझी समाज 1 जनवरी 2018 के आदेश में सशोधन कर संशोधन आदेश जारी करने मप्र की पिछड़ा वर्ग की सूची ग्राम 12 से विलोपित करने का आदेश जारी किया जाए। वंशानुगत मछुआरों को ही तालाब आवंटित किया जाए।