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एमपी में अब प्रमोशन पाकर DSP नहीं बन पाएंगे पुलिस निरीक्षक, भर्ती प्रक्रिया को MPPSC ने अनिवार्य किया
इंदौर. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने Deputy Superintendent of Police (DSP) पदों पर पुलिस निरीक्षकों (Police Inspectors) को प्रमोशन (Promotion) देने से साफ़ इनकार कर दिया है। जिसके चलते डीएसपी के 138 पदों पर लोक सेवा आयोग भर्ती प्रक्रिया के जरिए ही भरेगा।
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने निरीक्षकों के प्रमोशन को लेकर राय मांगी थी, लेकिन एमपी लोक सेवा आयोग (MP Public Service Commission) ने प्रमोशन से इनकार कर दिया।
सरकार ने जताई थी सहमति
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा के मुताबिक पुलिस मुख्यालय से प्रस्ताव प्राप्त हुआ था कि प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में इन पदों पर प्रभार देकर नियुक्ति की जा सकती है। इस प्रस्ताव से सरकार सहमत थी, लेकिन आयोग ने असहमति जताई। डॉ. राजौरा का कहना है कि अब 138 रिक्त पद पदोन्नति के बजाय सीधी भर्ती से ही भरे जा सकेंगे।
दोनो तरह से भर्ती का है प्रावधान
असल में डीएसपी पद पर चयन के लिये दोनों तरह की प्रक्रिया का प्रावधान है। जिसके तहत सीधी भर्ती के अलावा 6 वर्ष तक सेवा दे चुके पुलिस निरीक्षकों को डीएसपी पद पर पदोन्नति किया जा सकता है।
कम किये जाए इंटरव्यू के अंक
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओ की मांग है कि इंटरव्यू के अंक कम किए जाएं। लिखित परीक्षा में अधिक अंक होने के बाद भी इंटरव्यू में दिए जाने वाले अंकों से रिजल्ट प्रभावित होता है। उनका कहना है कि एमपी में अभी साक्षात्कार के लिए 175 अंक निर्धारित हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और केरल में 100 अंक ही तय किये गये हैं। बिहार में 120 अंक का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश में इसी वर्ष 100 अंकों का प्रावधान है।