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MP Panchayat Chunav: इस महीने हो सकते है मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव, फिर शुरू हुई तैयारी
MP Panchayat Chunav 2022
MP Panchayat Chunav News: पिछले दो वर्षो से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में रूके हुए पंचायत चुनावों (Panchayat Chunav) की प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू होती नजर आ रही है। दरअसल वोटर लिस्ट और नए परिसीमन कराए जाने निवार्चन आयोग ने निर्देश जारी कर दिए है। इसके लिए प्रदेश भर में एक से दो महीनों का समय लग सकता है। यह तैयारी पूरी होते ही पंचायत चुनावों की तरीखो का ऐलान एक बार फिर मध्य प्रदेश में हो सकता है।
सरकार ने जारी किए थें निर्देश
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) के लिए नए सिरे से परिसीमन का आदेश जारी कर दिया है। पंचायत विभाग ने कलेक्टरों को पत्र लिख कर आदेश दिए है कि सभी कलेक्टर अपने जिलों में परिसीमन एवं वोटर लिस्ट को नए सिरे से तैयार करें।
इस तरह की मांगी गई है जानकारी
पंचायत विभाग ने ग्राम पंचायतों वार्ड प्रभारियों से जो जानकारी मांगी है उसके तहत क्षेत्र की जनसंख्या और भौगोलिक स्थित को शमिल किया है। यह जानकारी पंचायत सचिवों को 17 जनवरी तक देनी होगी। यह जानकारी पूरी होने के बाद 17 जनवरी से 25 फरवरी तक परिसीमन प्रक्रिया की जाएगी। परिसीमन का काम पूरा होते ही पंचायत चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
अप्रैल-मई में हो सकते हैं पंचायत चुनाव
खबरों के तहत निर्वाचन आयोग मध्यप्रदेश में अप्रैल-मई में पंचायत चुनाव होने की संभावना है। परिसीमन एवं वोटर लिस्ट का काम पूरा होने के साथ ही ओबीसी आरक्षण का मामला अगर सुलझ जाता है तो पंचायत चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। ऐसे में उम्मीद है कि फिर निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव का ऐलान कर सकता है. हालांकि पंचायत चुनाव एवं तरीखो को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन जिस तरह से तैयारी की जा रही है उससे चुनावों को लेकर उम्मीद नजर आने लगी है।
7 वर्ष का हुआ पंच-सरपंचों का कार्यकाल
मध्य प्रदेश के पंच-सरपंचों का कार्यकाल 7 वर्ष का हो रहा है, क्योकि पिछले दो वर्षो से पंचायतो के चुनाव अटके हुए है। चुनाव की तारीखों का ऐलान राज्य निवार्चन आयोग ने किया था। जिसे लेकर सरकार ने अध्यादेश लाया और एक बार फिर पंचायत के चुनाव अटक गए।
हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वापस लिए गए फैसले के बाद वर्तमान में पंचायतों का वित्तीय अधिकार प्रशासनिक अधिकारियों के पास है। जिसका सभी सरपंच विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरपंचों को उनके वित्तीय अधिकार फिर से मिलने चाहिए।