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Chiropathy Treatment: एमपी में पैरालिसिस का नई तकनीक से इलाज, सर्जरी व दवाइयों की जरूरत नहीं
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Chiro Therapy Treatment: पैरालिसिस मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें सर्जरी और दवाइयों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मध्यप्रदेश के इंदौर में लकवा को नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से ठीक किया जा रहा है। यहां पैरालिसिस से पीड़ित मरीजों का कायरोपैथी से इलाज किया जाता है। जो लकवा से ग्रसित मरीजों को ठीक करने में काफी मददगार साबित हो रही है।
चार सप्ताह में मरीज हुआ ठीक
इंदौर में संभवतः प्रदेश का पहला ऐसा मामला है जिसमें पैरालिसिस के मरीज को केवल चार सप्ताह में ठीक किया गया। नई टेक्नोलॉजी कायरोपैथी से एक बुजुर्ग का इलाज किया गया। मरीज अब खुद चलने फिरने लगा है और सामान्य तरीके से भोजन भी कर रहा है। जबकि इसके पूर्व उसके अपने हाथ-पैर में कंट्रोल नहीं था। चलने फिरने में लाचार था। चिकित्सकों ने सर्जरी के दौरान एक और स्ट्रोक आने की आशंका जताई। पहले कहा गया कि यदि ऐसा हुआ तो यह पूरी तरह बिस्तर पर रहेंगे, जान भी जा सकती है। किंतु नई टेक्नोलॉजी के जरिए इस मुश्किल बीमारी से मरीज ने जीत हासिल कर ली है।
बुजुर्ग को आया था पैरालिसिस का अटैक
एमपी में इंदौर संभाग के 61 साल के बुजुर्ग बैंककर्मी के बेटे के मुताबिक उनके पिता को वर्ष 2022 में चलने फिरने में परेशानी प्रारंभ हुई। पिछले महीने उन्हें स्ट्रोक आया। जिसके कारण हाथ-पैर से कंट्रोल हट गया। ऐसे में चलने फिरने के साथ ही खाने पीने में भी असमर्थ हो गए। इंदौर में एक प्राइवेट अस्पताल में उनको दिखाया गया। इसके बाद एमआरआई हुई। जांच में यह निकला कि उनके गर्दन के पास की एक डिस्क खिसक गई है। जिससे नर्व दब गई है और यही उनके लिए पैरालिसिस का कारण बना।
कायरोपैथी से कराया इलाज
इसके बाद मरीज को इंदौर के स्पाइन व न्यूरो सेंटर में परिजनों ने दिखाया। डॉक्टर ने उनकी एमआरआई देखी और कहा कि इनके सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। एक से दो महीने तक कायरोपैथी तरीके से इलाज करवाना होगा। इलाज करने वाले स्पाइन स्पेशलिस्ट डॉ. नेहा अरोरा के मुताबिक बुजुर्ग मरीज की मशीनों द्वारा रिकवरी की गई। बुजुर्ग का थ्रीडी टेक्नोलॉजी से इलाज किया गया। सेंटर पर उनकी 16 सीटिंग होने के बाद बेहतर नतीजे आए। चार सप्ताह बाद अब मरीज की हालत यह है कि वह स्वयं चल फिर सकते हैं और अपने से खाना पीना भी खा सकते हैं।
कायरो थैरेपी से इलाज की प्रक्रिया
कायरो थैरेपी में थ्रीडी टेक्नोलॉजी के तहत एडवांस मशीन से इलाज किया जाता है। इसमें सर्जरी और मेडिसिन की भी जरूरत नहीं होती। सेंटर में थ्री डाइमेंशन की एडवांस मशीन है। इसमें यदि कोई डिस्क खराब हुई है अथवा स्लिप हुई है तो उसका इलाज किया जाता है। अस्पतालों में यदि कोई डिस्क सॉकेट से बाहर निकल जाती है तो उसे सर्जरी के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। यदि वह डिस्क पूरी तरह से सॉकेट से बाहर नहीं है, लेकिन कम्प्रेशर है और वह किसी नस को दबा रही है तो उसे यहां थ्रीडी टेक्नोलॉजी द्वारा उसी पोजिशन में डिकम्प्रेस कर उस नस के दबाव को मशीन से कम किया जाता है। इसमें एक स्पेशल चेयर पर मरीज को सामने की ओर न बैठाकर पीठ सामने की ओर कर बैठाया जाता है। इसके बाद बड़े मॉनिटर से लगे फॉरसेप से संबंधित डिस्क सहित अन्य हिस्सों को हल्के से दबाकर स्क्रीन पर लाइव रिजल्ट देखा जाता है। इसके लिए एक दिन छोड़कर दो घंटे की सीटिंग होती है। इसमें कुछ सप्ताह बाद ही मरीज को आराम मिलने लगता है और बेहतर परिणाम सामने आने लगते हैं।
इनका कहना है
स्पाइन स्पेशलिस्ट डॉ. नेहा अरोरा के मुताबिक कायरोपैथी और थ्रीडी टेक्नोलॉजी में जिस मशीन से इलाज किया जाता है वह देश में 6 सेंटरों पर ही है। मध्यप्रदेश में यह मशीन केवल इंदौर में ही है। इस मशीन में उपचार थ्री डायमेंशन के आधार पर किया जाता है। यह विदेश मशीन है। स्लिप डिस्क, स्पाइ, न्यूरो आदि के मरीज जिनको सर्जरी की सलाह दी जाती है वह इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से बगैर सर्जरी के ही आराम पा सकते हैं। यह काफी कारगर है।
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