- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- बड़ी खबर: एमपी में...
बड़ी खबर: एमपी में शिक्षकों के लिए नई व्यवस्था लागू, करना होगा पालन वरना 3 साल तक होंगे नौकरी से बाहर!
मध्यप्रदेश में शिक्षकों के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। यह व्यवस्था आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी कॉलेजों में पदस्थ चिकित्सा शिक्षकों के लिए है। जिसको लेकर भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) द्वारा शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर नई व्यवस्था बनाई गई है। नई व्यवस्था के तहत यदि चिकित्सा शिक्षकों की नियमित उपस्थिति की जगह अगर कागजों में नाम दर्ज पाया जाता है और वह मौके से अनुपस्थित रहते हैं तो उनको तीन वर्ष तक नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। यहां यह बता दें कि देश भर में आयुर्वेद, यूनानी और सिद्धा के 550 से अधिक कॉलेज हैं।
प्राचार्यों व डीन को भेजा पत्र
भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग द्वारा सभी कॉलेजों के प्राचार्यों व डीन को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। नए आदेश में कानूनी कार्रवाई का प्रावधान यथावत रखा गया है। किंतु टीचर कोड निलंबित रखने की अवधि को बढ़ा दिया गया है। नए आदेश में छह माह का वेतन जमा करने का प्रावधान हटा लिया गया है। इसके पूर्व उन्हें 6 माह का वेतन भी एनसीआईएसएम को लौटना पड़ता था। एमपी के आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी (आयुष) कॉलेजों में पदस्थ चिकित्सा शिक्षकों को नियमित उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। इस दौरान यदि वह केवल कागजों में ही उपस्थित रहते हैं तो उन पर नए आदेश के तहत कार्रवाई की जाएगी। चिकित्सा शिक्षकों का टीचर कोड भी निलंबित कर दिया जाएगा, जिसके बाद वे कहीं भी नौकरी नहीं कर सकेंगे।
चिकित्सा शिक्षकों को लापरवाही पड़ेगी भारी
एनसीआईएसएम द्वारा इस संबंध में पूर्व में भी आदेश जारी किए गए थे। वर्ष 2022 में भी एनसीआईएसएम द्वारा नए नियम बनाए थे। जिसमें कहा गया था कि महाविद्यालयों में टीचिंग फैकल्टी यदि केवल कागजों में पाया गया तो उनका एक वर्ष के लिए टीचर कोड निलंबित कर दिया जाएगा। ऐसे में इस अवधि में वह कहीं भी नौकरी नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही उन्हें 6 माह का वेतन भी लौटाना होगा जिसको भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग के पास जमा करना होगा। इसके साथ ही चिकित्सा शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया था। किन्तु अब एनसीआईएसएम द्वारा नई व्यवस्था बनाई गई। जिसका पालन करना आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी कॉलेजों में पदस्थ चिकित्सा शिक्षकों के लिए अनिवार्य रहेगा। ऐसे में यदि वह कॉलेजों में नियमित अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज कराते तो उनको इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।