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एमपी के ट्री मैन जोहन लाल: सड़क किनारे पेड़ रोपने में पूरी ज़िन्दगी बिता दी और अमर हो गए
मध्य प्रदेश के ट्री मैन जोहन लाल की कहानी: मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक गांव है जिसका नाम है जोधपुर, जब भी कोई मुसाफिर जोधपुर गांव की सड़क से गुजरता है तो एमपी के ट्री मैन जोहन लाल का शुक्रियादा करता है. ट्री मैन जोहन लाल ने अपने गांव में फलदार और छांवदार पौधों को रोपने और उनके दरख़्त बनने तक रक्षा की, उन्होंने जोधपुर गांव को हरा भरा बनाने में पूरी ज़िन्दगी खपा दी, उन्हें गुजरे 12 साल बीत गए हैं लेकिन गांव से सिंहपुर और चतुरिया रोड में लगे ठंडी छांव देने वाले पेड़ जब लहलहाते हैं तो जोहन लाल की मौजूदगी का एहसास होता है.
ठान लिया था पेड़ लगाने हैं तो बस लगाने हैं
ट्री मैन जोहन लाल बचपन से प्रकृति के बीच पले बढे, वो एक प्रकृति प्रेमी थे, उन्हें हरियाली पसंद थी और वृक्षों से लगाव था. उन्होंने अपनी जवानी के दिनों में ही ठान लिया था कि मैं अपना पूरा जीवन प्रकृति की सेवा और वृक्षारोपण में लगा दूंगा। वो हर रोज पहले अपना घर का काम निपटाते फिर अपने लक्ष्य के लिए निकल पड़ते।
जोहन लाल ने शहडोल मार्ग, जोधपुर गांव और सिंहपुर से लेकर चतुरिहा गांव तक एक-एक करके आम, अमरुद, जामुन, आंवला और कई प्रजाति के फलदार-छायादार पौधों को रोपना शुरू किया। यह सिलसिला कभी थमा नहीं, वो हर रोज़ सुबह उठते और पेड़ रोपने के लिए चल देते। एक वक़्त ऐसा आया कि जोहन लाल की मेहनत और पर्यावरण के प्रति प्रेम रंग लाने लगा. वो पौधे अब विशाल पेड़ का रूप ले चुके थे. जोहन लाल ने जवानी से लेकर बुढ़ापे तक 1500 पौधे रोपे और उनके दरख़्त बनने तक उनकी हिफाजत की. वो अपने लगाए पेड़ों से बिलकुल अपने बच्चों की तरह प्रेम करते थे.
वीरान सड़क को हरा-भरा कर दिया
कभी जोधपुर से सिंहपुर और चतुरिया गांव का रास्ता उजाड़ और वीरान रहता था, लेकिन आज यहां एक कतार से ठंडी छाया देने वाले पेड़ों की श्रृंखला दिखाई देती है. जब कोई राहगीर इस मार्ग से गुजरता है तो पेड़ लगाने वाले ट्री मैन जोहन लाल का मन ही मन धन्यवाद करता है.
जहां जाते वहां पौधरोपण करते
जोहन लाल की एक आदत थी, वो जहां भी जाते थे वहां अपने साथ पौधे लेकर जाते थे. उन्हें कोई खाली जगह दिखती तो वहां वो पौधा रोप देते. एक बार जब वो उत्तर प्रदेश में भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या यात्रा पर गए थे, तो वहां भी उन्होंने कई पौधरोपण किए थे. वो हमेशा लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक करते रहते थे.
मरने के बाद भी अमर हैं जोहन लाल
साल 2009 तक जोहनलाल ने अपने गांव की सड़क के किनारे 1500 से ज़्यादा पेड़ उगाए, उनकी पत्नी इंद्रावती कहती हैं कि मुझे उनपर गर्व है, वो घर का काम करते, खेतों में जाते, कुँए से पानी निकालते और पेड़ों को पानी देने के लिए निकल जाते, मैंने उन्हें सिर्फ काम करते देखा वो आराम नहीं करते थे.
जोहन लाल के बेटे रमेश कहते हैं कि पिता जी ने सिंहपुर से लेकर शहडोल मार्ग, चतुरिया गांव की सड़क में हज़ारों पौधे रोपे, गांव के लोग हमेशा उन्हें याद करते हैं. जब कोई उन्हें पेड़ों की वजह से याद करता है तो हमें गर्व होता है.
जोहन लाल ने प्रकृति की सेवा करते करते आज से 12 साल पहले अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन उनका अभियान जारी है, गांव में कोई नया पौधा लगाया जाए और जोहन लाल का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। अपने रोपे पेड़ों में आज भी उनकी आत्मा बसती है. वो मारकर भी अमर हैं. जोहन लाल को पूरे शहडोल जिले में ट्री मैन के नाम से जाना जाता है. मरने के बाद भी उनकी पहचान जिन्दा है. बस दुःख इस बात का है कि सरकार की तरफ ने उन्हें ख्याति नहीं मिली लेकिन वो यह सब किसी ख्याति के लिए नहीं करते थे. उन्हें कुछ पाने का लालच नहीं था.
जोहन लाल के अभियान में नानदाऊ कोल भी चल पड़े
गांव के ही एक किसान ने जोहन लाल के गुजरने के बाद पेड़ों को लगाने का अभियान जारी रखा. नानदाऊ कोल नाम के ग्रामीण ने कहा कि मैं उन्हें बचपन से ऐसा करते देखता था, मुझे अच्छा लगता था. जोहन लाल से प्रभावित होकर मैंने भी 800 पेड़ लगाए, आम, अमरुद, नींबू, बहेरा, चंदन, खम्हर, हर्रा के पौधे रोपे। जिनमे से कुछ सूख गए लेकिन आज 600 पेड़ लहलहाते हैं. गांव के लोगों ने पेड़ों से भरे बगीचे को रामवन नाम दिया है.
दुनिया को जोहन लाल जैसे प्रकृति प्रेमियों की जरूरत है
पेड़ों के बिना आप जीवन की कल्पना नहीं कर सकते, पेड़ न हों तो न बारिश होगी, न फल न गांव होंगे और न ही ठंडी छांव होगी। इस दुनिया को जोहन लाल जैसे प्राक्रृति प्रेमियों की जरूरत है. RewaRiyasat.com शहडोल के ट्री मैन जोहन लाल को नमन करता है.