मध्यप्रदेश

एमपी को हर साल मिलेंगे 12 नए चीते, साउथ अफ्रीका से किया गया एग्रीमेंट

Sanjay Patel
20 Feb 2023 4:54 PM IST
एमपी को हर साल मिलेंगे 12 नए चीते, साउथ अफ्रीका से किया गया एग्रीमेंट
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मध्यप्रदेश को हर साल 12 चीते मिलेंगे। जिसके लिए भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका सरकार से इसके लिए एग्रीमेंट किया है।

मध्यप्रदेश को हर साल 12 चीते मिलेंगे। जिसके लिए भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका सरकार से इसके लिए एग्रीमेंट किया है। प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि 12 चीतों की खेप हर वर्ष साउथ अफ्रीका से मध्यप्रदेश आएगी। जिनको गौरादेही अभयारण्य और गांधीसागर में छोड़ा जाएगा। यहां यह बता दें कि 18 फरवरी को भी 12 चीते एमपी लाए गए थे जिनको सीएम शिवराज सिंह चैहान द्वारा कूनो अभयारण्य में छोड़ा गया था। जबकि इसके पूर्व 8 चीता कूनो से लगाए गए थे जिनको पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा रिलीज किया गया था।

यहां नजर आएंगे चीते

प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह के मुताबिक साउथ अफ्रीका सरकार द्वारा हर साल 12 चीते देने के लिए सहमति प्रदान कर दी गई है। जिनको नीमच-मंदसौर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे गांधीसागर अभयारण्य के साथ ही सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे नौरादेही अभयारण्य में छोड़ा जाएगा। जिससे इन क्षेत्रों में भी चीतों का दीदार लोगों को हो सकेगा। कूनो-पालपुर अभयारण्य में कुल चीतों की संख्या 20 हो गई है। कूनो के बाद दूसरे अभयारण्यों में भी चीतों का दीदार सैलानी कर सकेंगे। चीतों का यह कुनबा अब लगातार बढ़ता जाएगा।

चीतों के लिए मुफीद है गांधीसागर अभयारण्य

एमपी का गांधीसागर अभयारण्य चीतों के लिए मुफीद जगह है। चीतों के रहने के लिए बनाए जाने वाले बाड़े और पीने के पानी की भी यहां व्यवस्था देखी गई है। यहां पर पानी की कमी नहीं है। करीब आठ माह पहले टीम द्वारा गांधीसागर अभयारण्य और चंबल नदी का दौरान भी किया गया था। गांधीसागर अभयारण्य 181 वर्ग किलोमीटर मंदसौर व 187 वर्ग किलोमीटर नीमच जिला समेत कुल 368.92 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जिसकी सीमा रावतभाटा वन क्षेत्र और मुकंदरा नेशनल पार्क से मिलती है।

नौरादेही एमपी का सबसे बड़ा अभयारण्य

नौरादेही प्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य है जिसका क्षेत्रफल 1 हजार 197 वर्ग किलोमीटर है। यह अभयारण्य तीन जिलों की सीमाओं को छूता है जिसमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर शामिल हैं। इसकी सीमा जबलपुर जिले से लगती है। यह अभ्यारण्य भी बाघों के रहने के लिए मुफीद है। यहां पर वर्तमान समय पर 12 बाघ रहे रहे हैं। कूनो पालपुर से लाए गए चीतों की अगली पीढ़ी नौरादेही और मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य में बसाने की तैयारी की जा रही है। नौरादेही अभयारण्य में राष्ट्रीय बाघ परियोजना के तहत वर्ष 2018 में यहां पर बाघिन राधा और बाघ किशन को बसाया गया था।

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