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Good News: एमपी बनेगा देश का पहला राज्य जहां हार्ट व लंग्स ट्रांसप्लांट में उपयोग होने वाले फ्लूइड का होगा निर्माण
मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है जहां हार्ट व लंग्स ट्रांसप्लांट में उपयोग होने वाले फ्लूइड का निर्माण होगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) से इसके निर्माण की अनुमति भी मिल गई है। एक वर्ष से किए जा रहे प्रयास के बाद इंदौर की दवा कंपनी ने फ्लूइड बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। बताया गया है कि जून माह से इसका उत्पादन प्रारंभ कर दिया जाएगा।
इंदौर में होगा फ्लूइड का निर्माण
देश में अभी कहीं पर भी फ्लूइड का निर्माण नहीं किया जाता। एमपी के इंदौर में हार्ट व लंग्स ट्रांसप्लांट के दौरान उपयोग किए जाने वाले फ्लूइड का निर्माण किया जाएगा। ऐसे में एमपी देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां पर इसका निर्माण हो सकेगा। किडनी ट्रांसप्लांट में उपयोग होने वाले फ्लूइड का निर्माण जरूरत गुजरात में किया जाता है। अभी यूएस-यूके से इसको मंगाया जाता है। यह फ्लूइड करीब 50 हजार रुपए प्रति 1000 एमएल की दर से आता है। इंदौर में यह आधी कीमत तकरीबन 25 हजार रुपए में तैयार होने लगेगा। जिसके लिए एफडीए से अनुमति भी मिल गई है।
फ्लूइड बनाने जर्मनी से इंपोर्ट की गई मशीन
फ्लूइड बनाने के लिए मशीन को जर्मनी से इंपोर्ट किया गया है। रसोमा लेबोरेटरीज के डायरेक्टर तपन शर्मा के मुताबिक पूरा प्रोडक्शन ऑटोमेशन से होगा। यहां मानवीय हस्तक्षेप नहीं होगा। इंदौर में हार्ट और लंग्स के लिए फ्लूइड बनाया जाएगा। देश में पहली बार इनका उत्पादन किया जाएगा। 20 जिसे अधिक देशों में इसका एक्सपोर्ट भी किया जाएगा। फ्लूइड 1 और 2 हजार एमएल के बैग्स में सप्लाई होगा।
फ्लूइड में डालने से खराब नहीं होता ऑर्गन
ऑर्गन डोनेशन के दौरान ऑर्गन निकालने के बाद इसे फ्लूइड में डाल दिया जाता है। किसी अन्य व्यक्ति को लगाने तक यह इसी में रखा रहता है। फ्लूइड में रखने से तय समय अवधि तक ऑर्गन खराब होने के चांस नहीं रहते। बताया गया है कि फ्लूइड की एक बैच बनने में 14 दिन लग जाते हैं। बनने के बाद तय मानक पर इसको 14 दिन तक स्टोर करना पड़ता है। कोई बदलाव नहीं होने पर बैच प्लांट डिस्पैच की जाती है।