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MP Toll Tax: 114 किलोमीटर लंबी रिंग रोड पर सैटेलाइट के जरिए कटेगा पैसा, फटाफट चेक करे रुट...

प्रदेश की सबसे लंबी 114 किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड में चलने के लिए शुल्क देना होगा। यह कितना होगा वो अभी तय नहीं है लेकिन ये साफ है कि रिंग रोड पर दौड़ने वाले वाहनों को टोल के रूप में जी शुल्क लगेगा वो सीधे वाहन में लगे फास्टैग से कटेगा। इतना ही नहीं जितने किलोमीटर की दूरी वाहन रिंग रोड में तय करेगा शुल्क भी उतना ही देना होगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से यह प्रस्ताव है। इसे अत्याधुनिक बनाने के लिए सेटेलाइट के जरिए ही वाहनों की ट्रेकिंग होगी। ये सारा कार्य डिजिटल होगा। 3500 करोड़ रुपए की लागत से यह रिंग रोड तैयार हो रहा है। इसे पांच अलग-अलग हिस्सों में बनाया जाना है जिसके चार हिस्सों का काम शुरू हो गया है। शेष एक हिस्से के लिए भी केंद्र से मंजूर मिल गई है।
480 करोड़ रुपए की लागत से होना है कार्य
जानकारी अनुसार पांचवां हिस्सा अमझर घाटी से बरेला के बीच बनना है। करीब 16 किलोमीटर लंबे इस मार्ग का एलाइनमेंट लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाया जा रहा था। मार्ग में वन भूमि, सेना की भूमि अधिक थी, जिसे बिना उपयोग में लिए यह एलाइनमेंट तय होना था। विभाग ने केंद्रीय मंत्रालय को यह प्रस्ताव भेजा था जिसे मंजूर कर लिया है। अब जुलाई में इस अंतिम चरण के प्रोजेक्ट के लिए निविदा निकाली जाएगी। बता दें कि यह कार्य 480 करोड़ रुपए की लागत से होना है। इसमें वन भूमि और सेना की भूमि को छोड़कर मार्ग निकाला गया है।
15 पाइंट बनाए जाएंगे
टोल रोड पर दाखिल और निकासी के लिए करीब 15 पॉईट बनाए जाएंगे, जिनके माध्यम से रोड में वाहन प्रवेश करेगा। हर पॉइंट पर उपकरण के माध्यम से वाहन में लगे फास्टैग की स्क्रीनिंग होगी। इसके बाद जिस पाइंट से वाहन की निकासी होगी उसके किलोमीटर के हिसाब से राशि स्वतः ही कट जाएगी। अभी जिस तरह राष्ट्रीय राजमार्ग में चलने के लिए वाहनों को फास्टैग अनिवार्य है उसी तरह की व्यवस्था यहां होगी। प्राधिकरण ने बताया कि रिंग रोड से लगे ग्रामीणों को आवाजाही के लिए अलग से सर्विस रोड बनेगी ताकि उनके वाहन मुख्य मार्ग पर न आ सके।
लागत के हिसाब से तय होगा शुल्क
इस संबंध में राष्ट्रीय राजमार्ग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमृत साल साहू ने कहा कि रिंग रोड की लागत और उसके अंदर बनने वाले ब्रिज या अन्य सुविधाओं का मूल्यांकन होगा। इसके बाद केंद्रीय स्तर पर पर प्रति किलोमीटर एक राशि तय होगी जो अलग- अलग श्रेणी के वाहनों से ली जाएगी