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एमपी के बेटे ने विदेश में मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा, पेरिस में जीता गोल्ड मेडल
मध्यप्रदेश में होनहारों की कमी नहीं है ऐसा ही कुछ कर दिखाया है एमपी के बेटे राजू ने। उन्होंने विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। जिससे मध्यप्रदेश सहित भारत देश का नाम एक बार पुनः गौरवान्वित हुआ है। उन्होंने घुड़सवारी प्रतियोगिता में अपना जौहर दिखाते गोल्ड मेडल हासिल किया। उनकी इस उपलब्धि पर क्षेत्र में हर्ष का माहौल है।
भिंड के राजू ने जीता गोल्ड मेडल
विदेश की धरती पर एमपी भिंड के राजू भदौरिया ने देश का नाम रोशन किया है। पेरिस में चल रही प्रतियोगिता के दौरान घुड़सवारी में उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। भारत देश की ओर से खेल रहे भिंड के राजू ने गोल्ड मेडल जीता। यह खबर जब राजू के गांव मेहगांव क्षेत्र के हरपाल का पुरा में लगी तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। पूरे क्षेत्र में केवल उनके ही नाम की चर्चा हो रही है।
कई बड़े शहरों में दिखा चुका है अपनी प्रतिभा
घुड़सवारी में राजू द्वारा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कई बड़े शहरों में किया जा चुका है। भिंड का यह सपूत भोपाल, जयपुर, मुंबई समेत कई अन्य बड़े शरों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है। अब पेरिस में आयोजित हुई प्रतियोगिता में वह गोल्ड मेडल जीत चुका है। राजू के माता-पिता खेती बाड़ी कर अपना गुजर-बसर करते हैं। राजू ने आठवीं तक की पढ़ाई गांव में ही की। जिसके बाद आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण राजू को उसके मामा के यहां भोपाल भेज दिया गया। जहां पर उसने पढ़ाई जारी रखने के साथ ही घुड़ दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। अपने मामा से प्रशिक्षित होकर राजू मंजे हुए खिलाड़ी की तरह मैदान में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने लगा।
एकलव्य, एशियन गेम में भी हासिल की थी जीत
बताया गया है कि राजू ने दसवीं तक की पढ़ाई पोरसा मुरैना से की। उनके द्वारा एकलव्य, एशियन गेम में भी घुड़सवारी प्रतियोगिता के दौरान जीत हासिल की थी। अब वह विदेश की धरती में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। उनकी इस सफलता पर उनकी मां कुशमा देवी फूल नहीं समा रही हैं। उनका कहना है कि बेटे की इस जीत पर उन्हें बेहद खुशी है। उनकी इस सफलता से परिवार के लोगों को बहुत उम्मीदें हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब हम राजू से ही उम्मीदें लगाए बैठे हैं। राजू के पिता सुजान सिंह व मनोज सिंह गांव में खेती बाड़ी का काम करते हैं। जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है।