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एमपी: नियमित नियुक्ति होने पर पुराने अतिथि विद्वानों को किया जाएगा बाहर
MP Bhopal News: प्रदेश में एक जुलाई से प्रारंभ हो रहे नए शिक्षा सत्र से लगातार सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वान निरंतर कार्य करते रहेंगे। लेकिन इस बीच अगर संबंधित पद पर किसी की नियमित नियुक्ति होती है तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। गौरतलब है कि महाविद्यालयों में पढ़ा रहे अतिथि विद्वानों में उन्हें नियमित न किए जाने के कारण उनमें काफी आक्रोश है। वर्तमान में प्रदेश के सरकारी कॉलेंजों में करीब पांच हजार अतिथि विद्वान अपनी सेवा दे रहे हैं।
इनमें से अनेक ऐसे भी हैं जिन्हें पढ़ाते हुए 15 साल से अधिक का समय हो चुका है। गौरतलब है कि वर्तमान में वर्किंग डे में 15 सौ रूपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। जिसमें न्यूनतम 30 हजार रूपए का मासिक भुगतान होता है।
अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि प्रदेश में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (National Edcucation Policy) लागू होने के बाद यह उम्मीद थी कि अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर उन्हें नियमित किया गया तो रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा और संबंधित कॉलेजों को भी इसके लिए ग्रांट उपलब्ध होगी। महासंघ के डॉ. आशीष पाण्डेय ने कहा कि अतिथि विद्वान प्रवेश, परीक्षा, प्रबंधन सहित अन्य कार्यों में जुडे़ रहते हैं। कॉलेजों में अधिकांश काम भी इनके हवाले होता है। बावजूद इसके उनकी मांगे नहीं मानी जा रही हैं। जो अतिथि विद्वान बाहर हो गए हैं, उन्हें भी नहीं रखा जा रहा। ऐसे में उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
भविष्य पर संकट के बादल
वर्षों से अतिथि विद्वान अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं। महाविद्यालयों में कार्य कर रहे अतिथि विद्वान अपने उम्र के उस पड़ाव तक पहुंच गए हैं, जिनके पास महाविद्यालय में पढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अगर यह कहा जाय कि अगर अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्ति का आदेश आ जाता है तो उनके भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे।
Ankit Pandey | रीवा रियासत
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