मध्यप्रदेश

MP News: इंजीनियरिंग छोड़ अपनाई जैविक खेती, युवा ने ऐसा क्यों किया जान लें

Sanjay Patel
18 Nov 2022 2:00 PM IST
MP News: इंजीनियरिंग छोड़ अपनाई जैविक खेती, युवा ने ऐसा क्यों किया जान लें
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इंदौर से इंजीनियरिंग करने के बाद एक युवा ने इसमें दिलचस्पी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने खेती की ओर रुख किया। उनके द्वारा जैविक खेती अपनाई गई। ढाई बीघा में उन्होंने सब्जियों की पैदावार की और अपनी मेहनत से उगाई गई सब्जियों को उन्होंने गांव वालों में ही बांट दिया।

MP Shajapur News: इंदौर से इंजीनियरिंग करने के बाद एक युवा ने इसमें दिलचस्पी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने खेती की ओर रुख किया। उनके द्वारा जैविक खेती अपनाई गई। ढाई बीघा में उन्होंने सब्जियों की पैदावार की और अपनी मेहनत से उगाई गई सब्जियों को उन्होंने गांव वालों में ही बांट दिया। ताकि लोग इसका स्वाद चखकर इसके फायदे जान सकें कि जैविक खेती से तैयार की गई फसलों में अलग ही स्वाद होता है। तकरीबन 65 हजार रुपए की सब्जियों को गांव वालों को बांटने के पीछे उनकी अलग ही मंशा थी। वे चाहते हैं कि गांव के अन्य कृषक भी रासायनिक खेती से दूर हटकर जैविक खेती को बढ़ावा दें।

जैविक खेती करने की ठानी

शिवपुरी जिले के रामनगर गधाई गांव के युवा धीरज हरनाम सिंह रावत ने पहले इंदौर से इंजीनियरिंग की। किन्तु उन्होंने इसको छोड़कर जैविक खेती करने की ठान ली। उनके अनुसार पारंपरिक खेती में लागत और मुनाफे का अंतर काफी कम होता जा रहा है। कई बार कृषक को नुकसान ही उठाना पड़ता है। जैविक खेती को अपनाने के बाद हरनाम अपनी पैदा की गई उपज को गांव वालों में बांटता रहा। इसकी एकमात्र वजह यह थी कि लोग जैविक खेती के महत्व को समझ सकें। पहली बार उन्होंने ढाई बीघा में सब्जियां उगाईं। जिसमें ककड़ी, लौकी, टमाटर, भिंडी, खरबूज, तुरई आदि शामिल थीं। जिनकी कीमत बाजार में 60 से 65 हजार रुपए तक मिल सकते थे। 6 माह में तैयार की गई इन फसलों का स्वाद जानने के लिए उन्होंने गांव वालों को मुफ्त में बांट दी। जिससे अन्य कृषक भी जैविक खेती को अपनाएं।

पशुपालन ने जैविक खेती का रास्ता किया आसान

इस बार धीरज 5 बीघा में सब्जियों और 15 बीघा खेत में गेहूं, सरसों, उड़द, मूंग और मूंगफली की खेती कर रहे हैं। सब्जियों की खेती में जैविक का प्रयोग सफल रहा। किंतु सरसों और गेहूं की खेती वह जैविक व रासायनिक दोनों विधि से कर रहे हैं ताकि दोनों की पैदावार की स्थिति का पता चल सके। इसके बाद अगले साल से वह पूरी तरह से जैविक खाद से मोटे अनाज की भी खेती प्रारंभ करेंगे। धीरज के अनुसार जो लोग पशुपालन करते हैं उनके लिए जैविक खेती करना और भी आसान हो जाता है। क्योंकि यहां खाद बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर मौजूद रहता है। गोबर की खाद मवेशियों के ठोस व द्रव्य मल-मूत्र का एक सड़ा हुआ मिश्रण होता है। जिसमें भूसा, बुरादा, छीलन अथवा अन्य शोषक पदार्थ मिले होते हैं।

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