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MP : कॉलेजों में रैगिंग रोकने के लिए हायर एजुकेशन ने सख्ती से निपटने के दिए निर्देश

MP Higher Education News : प्रदेश के महाविद्यालयों में रैगिंग रोकने के लिए हायर एजुकेशन (Higher Education) ने प्रयास शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में गत दिवस उच्च शिक्षा ने प्रदेश के समस्त विवि के कुलसचिवों, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा और महाविद्यालय प्राचार्यों को निर्देशित किया है। पत्र के माध्यम से हायर एजुकेशन (Higher Education) ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा रैगिंग (Ragging) की रोकथाम के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है। इस निर्देश का पालन करना अनिवार्य है। प्रदेश के विवि, शासकीय-अशासकीय, अनुदान प्राप्त कॉलेज में रैगिंग को लेकर निर्देशों को पालन करना जरूरी है। हायर एजुकेशन द्वारा भेजे पत्र के बाद प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान रैगिंग को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
टीम गठित करना अनिवार्य
यूजीसी द्वारा रैगिंग की रोकथाम के लिए जो गाइडलाइन तय की गई है उसके अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में एण्टी रैगिंग कमेटी (Anti Ragging Committee) गठित करना अनिवार्य है। टीम के लोगों के नाम और मोबाइल नंबर संस्थान के नोटिस बोर्ड में चस्पा करना जरूरी है। देखने में आया है कि शैक्षणिक संस्थानों द्वारा औपचारिकता में काम निपटाते हुए कागजों में ही टीम का गठन कर दिया जाता है। नोटिस बोर्ड में न तो टीम के लोगों के नाम ही होते हैं और न ही नंबर। नियमानुसार टीम के सदस्यों को क्लासरूम का निरीक्षण कर नवप्रवेशित विद्यार्थियों से बात करना चाहिए। लेकिन ऐसा होता है इसमें संशय है।
मेडिकल कॉलेज का मामला रहा सुर्खियों में
श्यामसाह मेडिकल कॉलेज रीवा (Medical College Rewa) इस समय रैगिंग की घटना को लेकर सुर्खियों में है। यहां नव प्रवेशित विद्यार्थी के साथ रैगिंग का मामला इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया गया है कि जूनियर के साथ सीनियर विद्यार्थियों द्वारा रैगिंग के नाम पर मारपीट किए जानें के साथ ही अभद्रता की जाती थी। परेशान होकर छात्र ने इस संबंध दिल्ली में शिकायत की। दिल्ली से मेडिकल कॉलेज रीवा को आए मेल के बाद प्रबंधन द्वारा जांच कमेटी गठित कर दी गई। उल्लेखनीय है कि मेडिकल कॉलेज का यह तो एक मामला है जो सामने आ गया, अगर प्रबंधन द्वारा गहराई और निष्पक्षता से जांच की जाय तो और भी मामले सामने आ सकते हैं।