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एमपी के किसानों को होगा बंपर लाभ, बंबू चारकोल निर्यात पर हटा प्रतिबंध
राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) के तहत किसानों की आमदनी दोगुनी कराने के उद्देश्य से देश में बांस की खेती (bamboo cultivation) को बढ़ावा दिया जा रहा है। एमपी के किसानों के लिए 19 मई का दिन बेहद खास रहा इस दिन देश में पहली बार बम्बू चारकोल (Bamboo Charcoal) के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया गया है।
यह निर्णय बांस आधारित उद्योगों और दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों में हितग्राहियों को आर्थिक रूप से समृद्ध होने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय वरदान साबित होगा। इंटरनेशनल मार्किट में बांस के चारकोल की अधिक माँग है। एक्सपोर्ट प्रतिबंध हटने से बांस उद्योग (bamboo industry) अधिक लाभ उठाने में सक्षम होगा। बांस के कचरे का अधिकतम उपयोग भी हो सकेगा।
क्या आपको पता है? बांस के उत्पाद में मध्यप्रदेश समृद्ध की श्रेणी में है। एमपी में 18 हजार 394 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बांस उत्पादन होता है, जो देश में सर्वाधिक है। राज्य बांस मिशन, राष्ट्रीय बांस मिशन की योजनाओं का प्रदेश में क्रियान्वयन करता है। मिशन द्वारा अभी तक 15 हजार हेक्टेयर कृषि-भूमि में बांस पौध-रोपण कराया गया है।
बड़े काम का है बांस
बांस चारकोल (Bamboo Charcoal) का उपयोग बारबेग्यू, मिट्टी के पोषण और उच्च स्तर के चारकोल निर्माण में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। अमेरिका, जापान, कोरिया, बेल्जियम, जर्मनी, इटली, फ्रांस और यू.के. के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी अधिक माँग है। वर्तमान में बांस उद्योग बांस के उपयोग और अत्यधिक उच्च लागत से जूझ रहा है।
अगरबत्ती निर्माण में आता है काम
बांस का अधिक उपयोग अगरबत्ती निर्माण में होता है। करीब 16 प्रतिशत बांस का उपयोग अगरबत्ती की लकड़ी बनाने में होता है। अगरबत्ती उद्योग से देश के बड़े हिस्से में लोगों को रोजगार मिलता है। रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की मंशा से 'कच्ची अगरबत्ती' पर आयात नीति में बदलाव और गोल बांस की छड़ियों पर आयात शुल्क बढ़ाने की माँग की जाती रही है। बांस की छड़ियाँ वियतनाम और चीन से आयात की जाती हैं। अधिक माँग को देखने के बाद वाणिज्य मंत्रालय ने सितम्बर 2019 में कच्ची अगरबत्ती के आयात पर रोक लगा दी और जून 2020 में गोल बांस की छड़ियों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया।