मध्यप्रदेश

MP News: शरीर में डालेंगे दवा, रोशनी से होगा कैंसर का इलाज, बाल झड़ने जैसा साइड इफेक्ट भी नहीं

Sanjay Patel
26 Feb 2023 4:15 PM IST
MP News: शरीर में डालेंगे दवा, रोशनी से होगा कैंसर का इलाज, बाल झड़ने जैसा साइड इफेक्ट भी नहीं
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MP News: आरआर कैट में ऐसी थैरेपी पर काम किया जा रहा है जिसमें कैंसर के मरीजों के शरीर में दवा डाली जाएगी जो केवल एक विशेष प्रकार की रोशनी के संपर्क में आते ही अपना असर दिखाना प्रारंभ कर देगी।

राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र (आरआर कैट) इंदौर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह मनाया गया। इस वर्ष इसकी थीम वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान था। कार्यक्रम की शुरुआत में केन्द्र के निदेशक डॉ. शंकर नाखे ने अपना संबोधन दिया। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में 73 स्कूलों के 1200 से अधिक छात्र-छात्राओं ने अपनी सहभागिता निभाई।

कैंसर की दवा रोशनी के संपर्क में आने पर होगी एक्टिव

आरआर कैट में एक ऐसी थैरेपी पर भी काम किया जा रहा है जिसमें कैंसर के मरीजों के शरीर में एक ऐसी दवा डाली जाएगी जो केवल एक विशेष प्रकार की रोशनी के संपर्क में आते ही अपना असर दिखाना प्रारंभ कर देगी। यह कैंसर कोशिकाओं को खत्म करेगी और अन्य समय वह निष्क्रिय रहेगी। इस दवा को कीमोथैरेपी की तरह ही मरीजों के शरीर में डाली जाएगी। इस दवा से बाल झड़ने सहित अन्य साइड इफेक्ट भी नहीं होंगे। डॉ. शोवन मजुमदार के मुताबिक इस पर अभी काम किया जा रहा है। जिसको एंटी माइक्रोबियल फोटोडायनामिक थैरेपी कहा जाता है। जिसकी मशीन तैयार की जा रही है। इस पर ऐसे काम किया जा रहा है कि एंटी बायोटिक की जरूरत ही खत्म हो जाए।

इस पर भी चल रहा काम

इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र में ऑप्टिकल ट्विजर भी विकसित किया जा रहा है। जिसके माध्यम से लेजर के जरिए एक निर्धारित सैंपल के एक-एक जीवंत सेल को अलग कर उसकी जांच की जा सकेगी। कई ऐसी बीमारियां हैं जिनकी साधारण जांच नहीं हो पाती, इनको परखने में इसका उपयोग किया जा सकता है। जैसे कि मैलेडिया बीमारी की खून में जांच जब इंसान को तेज बुखार हो तभी हो पाती है। जबकि अन्य इस इस बीमारी का पता नहीं चलता।

लिक्विड ऑक्सीजन बॉटल अंतरिक्ष भेजी जाएगी

आरआर कैट में लिक्विड ऑक्सीजन बॉटल भी बनाई जा रही है जिसे अंतरिक्ष भेजा जाएगा। लेजर एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग से निकल अलॉय से यह बॉटल तैयार हो रही है जो अंतरक्षित में ऑक्सीजन रखने के काम में आ सकेगी। इस बॉटल को जांच के लिए इसरो भेजा गया है। जिसमें इसरो की जरूरत के अनुसार सुधार भी किया गया है। अभी इस बॉटल को आयात किया जाता है। भारत में ही बन जाने पर इसकी कीमत आधे से भी कम हो जाएगी।

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