मध्यप्रदेश

मांगलिक कार्यक्रम, शादी-विवाह में भीड़ प्रतिबंधित, चुनावी सभाओं में उड़ रही नियम-कायदों की धज्जियां..

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 12:08 PM IST
मांगलिक कार्यक्रम, शादी-विवाह में भीड़ प्रतिबंधित, चुनावी सभाओं में उड़ रही नियम-कायदों की धज्जियां..
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मांगलिक कार्यक्रम, शादी-विवाह में भीड़ प्रतिबंधित, चुनावी सभाओं में उड़ रही नियम-कायदों की धज्जियां..भोपाल । यदि देखा जाय तो कोरोना काल में

मांगलिक कार्यक्रम, शादी-विवाह में भीड़ प्रतिबंधित, चुनावी सभाओं में उड़ रही नियम-कायदों की धज्जियां..

भोपाल । यदि देखा जाय तो कोरोना काल में सबसे ज्यादा परेशानी आमजन को झेलनी पड़ी है और आज भी उसे नियम-कानून का डंडा दिखाया जा रहा है। वह आज भी कोई मांगलिक कार्यक्रम खुले मन से नहीं कर पा रहा है। जबकि चुनावी सभाओं में नियम कायदों की धज्जियां उड़ रही हैं। हजारों की भीड़ उमड़ रही है।

कोरोना बीमारी के बीच भी शासन-प्रशासन का दोहरा चरित्र देखने को मिल रहा है। कोरोना में मंदिर बंद रहे लेकिन दारू की दुकानें चलती रहीं। कोरोना में मांगलिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध है, भीड़भाड़ नहीं लगाना है। लेकिन चुनावी सभाएं धड़ल्ले से चल रही हैं।

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मांगलिक कार्यक्रम में डीजे नहीं बजेंगे लेकिन चुनाव में सबकुछ सही है। चुनावी सभा में चाहे जितने लोग पहुंच जाय कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन मांगलिक कार्यक्रम में, कथा भागवत में गिनती के लोग ही पहंुचेंगे अन्यथा जेल भेजा जा सकता है। यह कैसा नियम-कानून चल रहा है जो सिर्फ आम आदमी खासकर गरीबों पर लागू होता है।

शादी-विवाह में प्रशासनिक अड़ंगेबाजी से लोग परेशान

शादी-विवाह का पिछला सीजन कोरोना की भेंट चढ़ गया, लोग तैयारी के बावजूद कार्यक्रम नहीं कर पाये। अब एक बार फिर शादी-विवाह के लिए लग्न-मुहूर्त शुरू होने वाले है। ऐसे में प्रशासनिक नियम-कायदे लागू होने लगे हैं। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि शादी-विवाह के कार्यक्रम में मुख्य रूप से 100 लोग ही इकट्ठे हो पाते हैं। आज के समय में किसी को इतनी फुर्सत नहीं है कि वह रात-दिन कहीं बैठा रहेगा। लोग आये और आधा घंटे में फिर चलते बने। ऐसे में शासन-प्रशासन द्वारा मांत्र 100 लोगों की छूट का कोई मायना नहीं है।

मांगलिक कार्यक्रमों को लेकर नहीं दिख रहा उत्साह

शासन-प्रशासन की गाइड लाइन के कारण मांगलिक कार्यक्रमों को लेकर लोगों में उत्साह नहीं देखा जा रहा है। सब कुछ फीका-फीका लग रहा है। लोगों को कोरोना का डर नहीं है बल्कि प्रशासनिक डंडे का भय सता रहा है। कोरोनो से ज्यादा प्रशासन ने भयभीत कर रखा है। अब लोग नहीं समझ पा रहे कि आखिर इस कोरोना के नियम-कानून से उसे कब मुक्ति मिलेगी। जब वह बिना किसी पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के अपना कार्यक्रम कर सकेंगे।

कोरोना ने गरीबों को चौतरफा परेशानी में डाला

कोरोना संक्रमण ने बीते 8 माह से जनजीवन प्रभावित कर रखा है। लोगों का मिलना-जुलना, शादी-विवाह, कथा, पूजा-पाठ, मंदिर सब कुछ प्रतिबंधित रहा है। यह सब प्रतिबंध गरीबों को सहने पड़े हैं। हर कार्यक्रम का एक समय निर्धारित होता, लग्न, मुहूर्त होता है और उसी समय कार्यक्रम संपन्न होते हैं।

मांगलिक कार्यक्रम, शादी-विवाह में भीड़ प्रतिबंधित, चुनावी सभाओं में उड़ रही नियम-कायदों की धज्जियां..

पिछले सीजन में कोरोना के कहर से कोई मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो सके। जिन लोगों ने तैयारी कर रखी थी उन्हें कार्यक्रम निरस्त करने पड़े। उनके रोजगार छिन गये। उसके बाहर निकलने पर प्रतिबंध है। उसके काम करने पर प्रतिबंध है। उसका पूरा जीवन ही प्रतिबंधित हो गया है।

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