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एमपी के उज्जैन में शाही ठाट-बाट से निकली भगवान महाकाल की सवारी, भक्तों का उमड़ पड़ा सैलाब, दो वर्ष बाद निकले भगवन
Ujjain Mahakal Sawari News: भगवान महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने के लिए उज्जैन नगरी में निकल पड़ें। शाम 4 बजे शुरू हुई सावन महीने की पहली भगवान महाकाल की सवारी को लेकर भक्तो का उत्साह देखते ही बना रहा है। जिस गली से भगवान की पालकी निकल रही है पूरी गली भक्तों से ठास-ठस भरी हुई है और भक्त भगवान की झलक पाने के लिए पूरे आस्था और श्रद्धा के साथ भीड़ में मौजूद है। सावन के पहला सोमवार होने के कारण भस्मारती में खासी भीड़ रही।
शाही ठाट-बाट से निकली सवारी
श्रावण के प्रथम सोमवार पर उज्जैन में निकली शाही सवारी।#Ujjain #Mahakal pic.twitter.com/wuyZ4HKTal
— Vishwa Samvad Kendra, MadhyaPradesh (@vsk_mp) July 18, 2022
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी शाही ठाठ-बाट से निकाली जा रही है। भगवान चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। शाही सवारी में शामिल भगवान के सेवा दार और भक्त पूरी आस्था से झूमते-नाचते हुए सड़कों पर भोले नाथ और महाकाल के जयकारे भी लगा रहे है।
सशस्त्र बल ने दी सलामी
मंदिर की परंपरा के अनुसार कलेक्टर आशीष सिंह सभा मंडप में भगवान का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने अवंतिकानाथ को गार्ड आफ आनर दिया। इसके बाद पालकी शिप्रा तट की ओर रवाना हो गई।
इस लिए अहम रही भगवान की सवारी
इस वर्ष भगवान महाकाल की यह सवारी कई मायनों में खास रही है। दरअसल दो वर्ष बाद सावन में भगवान की सवारी निकाली गई है। कोविंड संक्रमण के चलते दो वर्षो से भगवान की सवारी नही निकाली जा रही थी। लम्बे अर्से बाद निकाली गई भगवान की सवारी के लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह रहा।
इन रास्तों से निकली सवारी
महाकाल मंदिर से शुरू हुई सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां महाकाल पेढ़ी पर पुजारी भगवान महाकाल का जलाभिषेक व पूजा-अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, कार्तिकचौक, जगदीश मंदिर, ढाबारोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। यहां हरि व हर का मिलन होगा तथा गोपाल मंदिर के पुजारी भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद पालकी पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए शाम पुनः महाकाल मंदिर पहुंचेगी।