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कोरोना का बहाना बनाकर रीवा के गंभीर मरीज को बिना इलाज के लौटाया, दो अस्पतालों को नोटिस
जबलपुर/रीवा. रीवा जिले के एक मरीज को जबलपुर में कोरोना का बहाना बनाकर बिना इलाज के लौटा दिया गया. और गंभीर मरीज को दर दर भटके के लिए मजबूर कर दिया गया. इस कारण दो निजी अस्पतालों को नोटिस जारी की गई है.
रीवा जिला के सिरमौर तहसील का एक मरीज जिसे फेफड़े से सम्बंधित बीमारी का इलाज़ कराने के लिए शहर दर शहर, अस्पताल दर अस्पताल भटकना पड़ रहा था. पर कई अस्पतालों ने उसका इलाज करने से इंकार कर दिया. वजह कोरोना बताई गई. जबकि मरीज को कुल तीन बार कोरोना की जांच हो चुकी थी, तीनों बार उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. बावजूद इसके जबलपुर के दो बड़े निजी अस्पतालों ने इलाज देने की बजाय मेडिकल जाने की सलाह दे डाली. इसके बाद मरीज को उसकी पत्नी और परिजन बिलासपुर ले जाना पड़ा था.
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सोशल मीडिया पर मरीज की पत्नी ने पीड़ा जाहिर किया. पत्नी के अनुसार रीवा मेडिकल कॉलेज में हुए दो टेस्ट में भी रिपोर्ट निगेटिव आई थी, वहाँ के डिस्चार्ज पेपर में इसका उल्लेख भी है. शहर के मेट्रो हॉस्पिटल में फीवर क्लीनिक से ही उसे मेडिकल जाकर कोरोना की जाँच कराने कहा गया, वहीं लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल में उसे दो घंटे रखा गया, एक्स-रे में फेफड़ों के संक्रमण को देखते हुए मरीज को कोरोना पीडि़त मानकर उपचार देने की बजाय मेडिकल जाने कहा गया.
इधर लाइफ मेडिसिटी अस्पताल के संचालक डॉ. मुकेश श्रीवास्तव का कहना है कि उक्त मरीज 11 जून की रात में 2.30 बजे आए थे, उनकी हालत नाजुक थी. साँस की तकलीफ होनेे पर उन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन ट्रीटमेंट के साथ दवाएँ-इंजेक्शन दिए गए, साथ ही एक्स-रे कराया गया. मरीज को भर्ती करने के दौरान 10 हजार रुपए डिपॉजिट कराए गए थे. एक्स-रे रिपोर्ट के बाद उनके कोरोना संक्रमित होने की ज्यादा संभावनाएँ दिखीं, जिससे उन्हें मेडिकल रेफर कर दिया गया.
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मरीज से सिर्फ एक्स-रे का पैसा लिया गया, डिपॉजिट कराए गए 10 हजार रुपए उन्हें वापस कर दिए गए थे. उनका कहना था कि मरीज की हालत गंभीर थी, यदि वे उसे नॉर्मल कर नहीं भेजते तो वह बिलासपुर तक कैसे जा सकता था? दूसरी ओर मरीज की पत्नी पूजा पांडे का कहना था कि उन्हें 10 हजार रुपए बेड, 10 हजार ट्रीटमेंट, 1 हजार रुपए एक्स-रे तथा 4900 रुपए दवा का बिल दिया गया, बाद में कुछ राशि डिस्काउंट की गई.
दोनों अस्पतालों को दिया गया शोकॉज नोटिस
रीवा से आए मरीज को उपचार नहीं देने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुररिया ने लाइफ मेडिसिटी और मेट्रो अस्पताल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिनों में जवाब देने कहा है. नोटिस में कहा गया है कि रीवा का यह मरीज 11 जून को इलाज कराने आया था, परिजनों द्वारा यह बताए जाने के बावजूद कि रीवा में कोविड टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है, उसका इलाज शुरू नहीं किया गया और पुन: कोविड टेस्ट कराकर आने की बात कही गई. इससे मरीज के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही. जबकि प्रोटोकाल के मुताबिक उन्हें इस मरीज का उपचार किया जाना था और इसकी सूचना जिला स्तरीय कोविड कंट्रोल रूम को दी जानी थी.