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सीएम शिवराज की चौथी पारी में भाषा-कार्यशैली से लेकर फैंसले लेने के तरीके तक बदलाव, जानिए क्या है पूरा माजरा
भोपाल. मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) में आजकल बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. प्रदेश की सत्ता में सीएम के तौर पर यह उनकी चौथी पारी है और चौथी पारी में उनकी कार्यशैली से लेकर भाषाशैली और फैसले लेने के तरीके तक बदले हुए है. सीएम शिवराज में ऐसे बदलाव आखिर कब और ऐसे आ गए, आइये राजनैतिक तरीके से समझते हैं.
कार्यशैली में बदलाव
दरअसल में चौथी पारी में शिवराज सिंह चौहान के कार्यशैली में काफी बदलाव देखा जा रहा है. जानकारों को मानें तो वे खुद को अपराधियों और क़ानून को खिलवाड़ समझने वालों के लिए खलनायक मान रहें हैं. वे उनको उसी भाषा में जबाव दे रहें हैं, जिन भाषा को ऐसे लोग समझते हैं. हाल ही में उन्होंने माफियाओं और अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू किया है, जो निरंतर जारी है. इसके लिए उन्होंने प्रदेश भर के आला अधिकारियों को खुली छूट दे रखी है.
नए कृषि कानूनों को लागू करने के मामले में भी उन्होंने जिलों के कलेक्टर को सख्त निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि किसानों को फसल का भुगतान नहीं हुआ तो दोषियों की संपत्ति बेचकर उनके पैसे दिए जाएंगे.
फैसले लेने के तरीकों में बदलाव
चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज के फैंसले लेने के तरीके भी बदले हैं. वे अब जल्द ही फैसले लेते हैं. हाल ही में हिन्दू संगठनों की रैली पर हुए पथराव की घटना पर 48 घंटे के अंदर आरोपियों के घर तोड़ दिए गए. लव जिहाद क़ानून लागू किया गया. प्रदेश की सार्वजनिक एवं शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वालों के खिलाफ सख्त क़ानून लाया गया. साथ ही नुकसान की भरपाई उन्ही की संपत्ति बेंचकर करने पर जोर दिया गया. दो दिनों पहले भोपाल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मंच से ही एक सड़क का नाम बदल दिया.
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भाषाशैली भी बदली
सीएम शिवराज की इस चौथी पारी में उनकी भाषाशैली भी काफी बदल गई है. वे मंच से भाषणों में तोड़ देना, फोड़ देना, जमीन के नीचे गाड़ देना जैसे शब्दों का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. एंटी माफिया अभियान को लेकर मुख्यमंत्री अपनी हर सभा में मंच से माफियाओं को चेतावनी दे रहे हैं. केवल माफिया ही नहीं, वे मंच से अफसरों को भी टांग देने की धमकियां दे रहे हैं.
अपन अलग मूड में हैं : सीएम शिवराज
सीएम शिवराज कई बार कह चुके हैं 'आजकल अपन अलग मूड में हैं' और उनके इस बदले मूड को राजनैतिक तौर पर जोड़ मरोड़ के देखा जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि शिवराज अब पूरे बदले हुए से हैं. उनका तरीका उनका ऐटिटूड सब कुछ बदल गया है.
टीम नहीं साथ
दरअसल में शिवराज के लिए उनके मंत्रिमंडल की टीम भी साथ नहीं है. अधिकाँश ज्योतिरादित्य समर्थक मंत्री हैं और इनसे शिवराज की नजदीकियां कम ही नजर आती हैं. शिवराज ने पिछले तीन पंचवर्षीय जिस मंत्रियों की टीम के साथ काम किया वह अब उनके साथ नहीं है. कई को तो मंत्रिमंडल में जगह ही नहीं मिल पाई. इस वजह से शिवराज यह भी जताना चाहते हों की वे अकेले भी कम नहीं हैं.
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अग्रेसिव और हिंदूवादी छवि
शिवराज खुद को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह अग्रेसिव और हिंदूवादी छवि का बना रहे हैं. वे हिन्दू वादी मुद्दों पर बहुत अग्रेसिव होकर काम कर रहें हैं. हांलाकि मामा की कार्यशैली, भाषाशैली और झट्ट फैसले लेने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है. वाकय मामा इन दिनों अलग ही मूड में हैं.