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हीरे की नगरी पन्ना में एक इंजीनियर बताते हैं पूर्वजन्म की बाते, सम्मोहन विद्या से कर रहे बड़े-बड़े रोगो का इलाज
हीरा के लिए देश तथा विश्व में मशहूर मध्य प्रदेश का पन्ना शहर अपनी एक और नायाब उपलब्धि के लिए चर्चा में है। यहां भूत और भविष्य काल के सम्बंध में हिप्नोटिज्म के माध्यम से बाताने वाले एक शख्त मौजूद हैं। आज देश के कोने-कोने से लोग पन्ना आ रहे हैं। वैसे सुनने में जरा अजीब लगता है कि इस विज्ञान के युग में इस तरह की विधा मे इतना विश्वास करना क्या सही है। लेकिन हिप्नोटिज्म नामक विधा हमारे देश में पूर्व काल से प्रचलन में है।
पूर्व काल की है यह विद्या
भारत में इस हिप्नोटिज्म विधा को पूर्व काल में सम्मोहन नामक विद्या के रूप में जाना जाता था। इसका उपयोग राज अपने विरोधी राजाओं के सैनिकों को पकडे जाने के बाद किया करते थे और राज उगलवा लेते थे। हमारे शास्त्रों में भगवान श्री कृष्ण और भगवान भोलेनाथ को सबसे बड़ा सम्मोहक माना गया है।
वही यह भी कहा जाता है कि इस विद्या की खोज ऋषि मुनियों ने की थी। बताया जाता है कि इस विद्या का इस्तेमाल साधू संत सिद्धियां प्राप्त करने में किया करते थे। साथ ही इस विद्या का उपयोग मोक्ष प्राप्त करने मे भी किया जाता था।
कौन हैं पन्ना में सम्मोहन के जानकार
आज जब हम बात पन्ना की कर रहे हैं तो यह जानना आवश्यक है कि पन्ना में आरईएस विभाग में सब इंजीनियर के पद पर कार्य करने वाले एसके समेले सम्मोहन विद्या के जानकार हैं। एसके समेले अपनी इस विधा के माध्यम से कई माशिक रोगियों का जहां निःशुल्क इलाज कर चुके हैं वहीं करीब दो दर्जन लोगो को उनके पिछले जन्म के बारे में भी बता चुके है।
आज इनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि इनके वीडियो सोशल मीडिया में खूब चल रहे है। लोगों को द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार एसके समेले विगत 25 वर्षों से अश्टांग योगे के द्वारा निःशुल्क सेवा दे रहे हैं। समेले विगत 10 वर्षों से योग प्रशिक्षण देकर फिट बना रहे है। बताया गया है कि मांशिक रोग से ग्रसित सैकडों रोगियों का समेले ने अपनी इस हिप्नोथेरिपी विधा के द्वारा इलाज किया है।
क्या है हिप्नोटिज्म
हिप्नोटिज्म एक ऐसे विधा है जिसका उपयोग मांशिक रोग के इलाज में किया जाता है। तो वहीं इस विधा के माध्यम से हम अपने वर्तमान, भूत तथा भविष्य काल के बारें में जानकारी ले सकते हैं।
पूर्व काल में इस विधा को त्रिकालविद्या कहा जाता था। इसके लिए विधा के द्वारा लोगों को सम्मोहित किया जाता था इसलिए इसके सम्मोहन भी कहा जाने लगा। अंग्रेजी में इसे हिप्नोटिज्म कहते है। इस विधा का उपायोग करने के पहले यह आवश्यक है कि हम इस विधा में पारंगत हों।
भारत में मिली मान्यता
माना जाता है कि इस विधा के गलत उपयोग होने से यह विलुप्त हो चुकी थी। लेकिन आस्ट्रिया के बियाना के डाक्टर फ्रांज एंटर मैस्मर ने हिप्नोटिजम को 1734 से 1815 के बीच चिकित्सा के रूप में उपयोग में लाया। वही वर्ष 2003 में भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय ने हिप्नोथेरेपी को मान्यता दे दी। अब भी इस विधा का ज्यादा प्रचार-प्रसार हमारे देश में नही हो पाया है। गिने चुने लोग ही इस विधा में पारंगत हैं।
माना जाता है कि इस विधा की सबसे बड़ी कसौटी यही है कि इसमें परंगत होना आवश्यक है। अगर अधूरे ज्ञान के साथ इस विधा का उपायोग किया जायेगा तो वह सामने वाले के लिए जानलेवा भी होजाता है।