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यह हुक्का सेहत के लिए लाभदायक, लंग्स और दमा के मरीज लगा रहे कश
हुक्का से कई रोगों का इलाज भी होता है यह सुनकर आप चौंक जाएंगे, किन्तु यह सच है। एमपी के आयुर्वेदिक अस्पताल में मरीजों का इलाज खास हुक्का पिलाकर किया जा रहा है। चिकित्सकों की मानें तो यह पद्धति कोई नई नहीं है। किंतु अब चिकित्सक इसी पुरानी पद्धति को अपनाकर मरीजों का मर्ज दूर कर रहे हैं जिससे मरीजों को काफी राहत भी मिल रही है। अस्पताल में जैसे ही आप प्रवेश करेंगे तो आपको हुक्का बार जैसा नजारा देखने को मिलेगा। किंतु यह मरीजों को सेहत सुधारने के लिए हुक्का के कश लगवाए जाते हैं।
हुक्का के कश से सुधार रहे सेहत
उज्जैन के शासकीय धनवंतरि आयुर्वेदिक अस्पताल में दमा और लंग्स इन्फेक्शन से जुड़े मरीजों को हुक्का के कश लगवाए जा रहे हैं। यहां मरीजों को नशे के लिए नहीं बल्कि सेहत सुधारने के लिए इसका सेवन करवाया जाता है। चिमनगंज मंडी स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल में दमा और लंग्स इन्फेक्शन के मरीजों को खास आयुर्वेदिक हुक्के का कश लगवाया जा रहा है। यहां बड़ी संख्या में मरीज अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं जो हुक्के का कश लगाते देखे जा सकते हैं।
आम हुक्का नहीं हर्बल धूम्रपान है
बताया गया है कि यह कोई आम हुक्का नहीं जिससे लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचे। यह हर्बल धूम्रपान है जिसे न केवल दमा के मरीजों को दिया जाता है बल्कि सायनस, सर्दी समेत अन्य सांस से संबंधित बीमारियों का भी इसके माध्यम से इलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक कालेज के प्रोफेसर डाॅ. प्रकाश जोशी के मुताबिक यह हुक्का बहुत ही कारगर है। जिन मरीजों के फेफड़े में इन्फेक्शन के कारण चलना फिरना कम हो गया हो। सामान्य दिनचर्या में ही उनकी सांस उखड़ने लगती हो उनके लिए यह हुक्का किसी रामबाण से कम नहीं है।
हुक्का में रहती हैं 12 औषधियां
इस हुक्के में 12 अलग-अलग तरह की औषधियां डाली जाती हैं। जिसमें अरंडी, देवदार, लख, वासा पत्र, जौ, जटा मानसी, पीपल की छाल, तेज पत्ता, हल्दी, मुलेठी, कंटकारी, बरगद की छाल, दालचीनी, गूलर, नागर मौथा, घी, प्रियंगु शामिल रहती हैं। इसकी शुरुआत अस्पताल में करीब तीन साल पहले की गई थी। इसका बेहतर परिणाम रहने के कारण अब यहां मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। यहां ज्यादा ऐसे मरीज पहुंचते हैं जो लंग्स इन्फेक्शन से ग्रसित रहते हैं। आयुर्वेद में हुक्के से इलाज की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। आयुर्वेदिक काॅलेज के डाॅक्टरों की मानें तो 14 वर्ष से लेकर बुजुर्ग तक इस हुक्के का उपयोग कर सकते हैं।
इनका कहना है
इस संबंध में आयुर्वेदिक कालेज के एमडी डाॅ. निरंजन सराफ की मानें तो यह हुक्का काफी प्रभावी है। यह जहां लंग्स को स्वस्थ रखती है तो वहीं आक्सीजन का लेवल भी बढ़ाने का काम करती है। इसके साथ ही फेफड़ों की नलियों को भी यह खोल देती है। हुक्के के धुएं से फेफड़े को संक्रमित करने वाले सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में लंग्स और फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए यह काफी लाभदायक है। उन्होंने बताया कि औषधीय हुक्का लेने के लिए जो नियमित अस्पताल नहीं जा सकते उन मरीजों को दवा और चिलम भी दी जा रही है ताकि वह अपने घर पर इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकें।