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MP School Vehicle New Rules: स्कूल वाहनों के लिए गाइडलाइन जारी, RTO और स्कूल प्रबंधन करेंगे निगरानी
MP School Vehicle New Rules: स्कूली बच्चों को वाहनों में भरकर सरपट दौड रहे वाहनों पर अब एक बार फिर नकेल कसने वाली है। अगर परिवहन विभाग इमानदारी से स्कूली वाहनों की जांच करे तो एक जिले में सैकडो नही हजारां वाहन सुप्रीम की गाइडलाइन में खरे नहीं उतरेंगे। लेकिन इस ओर न तो विद्यालय प्रबंधन ध्यान दे रहा है और न ही परिवहन विभाग की नजर है। कोरोना के बाद नया शिक्षण सत्र शुरू होने के साथ ही स्कूली वाहनो के लिए गाइडलाइन जारी किया गया है।
क्या है स्कूली वाहनों के हाल
एक दो विद्यालयों को छोड दिया जाय तो पता चलता है कि कई विद्यालायों में लगे वाहन कबाड़ हो चुके हैं। सभी वाहन बच्चों को भेड बकरियों की तरह भरकर ला रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी न तो इस ओर स्कूल संचालकों की नजर है और न ही परिवहन विभाग की। जबकि इन्ही दोनों की पूर्ण जावाबदारी है।
जारी हुई है गाइडलाइन
जानकारी के अनुसार बाल आयोग ने मध्य प्रदेश में स्कूली वाहनो के लिए गाइडलाइन जारी कर दिया है। अब बस, आटो तथा अन्य वाहन जो बच्चो को स्कूल पहुंचा रहे हैं उन्हे इस नियम का पालन करना होगा।
- जारी किये गये नियम के मुताबिक सभी वाहनो को सुप्रीम कोर्ड की गाइड लाइन का पालन करना होगा।
- जिन वाहनों में एलपीजी गैस किट लगी होगी वह प्रतिबंधित किये गये हैं।
- वाहनों में निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चों को बैठाने की मनाही रहेगी।
- स्कूली वाहन में कोई भी म्यूजिक सिस्टम नहीं लगा होना चाहिए।
- वाहन चालक तथा उसके सहायक का पुलिस वेरिफिकेशन होना आनिवार्य है।
- स्कूल द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो वाहन चालक है वह किसी भी तरह का नशा नहीं करता है।
वाहन की क्षमता
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में 5, डीजल ऑटो में 8, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर लाया लेजाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
- बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।
- स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।
- वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।
- वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए।
- सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो। तथा बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य है।
- बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए तथा बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स अवश्य लगा होना चाहिए।
- बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।
- बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
- बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके।
- स्कूल लेकर आने वाले प्राइवेट वाहनों की जानकारी और निगरानी विद्यालय प्रबंधन को रखना होगा।