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एक्शन मोड में शिवराज सरकारः एमपी में 18000 से अधिक अवैध निर्माण चिन्हित, 1 अप्रैल से तोड़ने की कार्रवाई होगी प्रारंभ
मध्यप्रदेश के शहरी क्षेत्रों में हो रहे अवैध निर्माण और बिना अनुमति अतिरिक्त निर्माण को हटाने के लिए सरकार एक्शन मोड में है। इनको तोड़ने की कार्रवाई 1 अप्रैल से प्रारंभ की जाएगी। इस विशेष अभियान के लिए प्रदेश भर की नगरीय निकायों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अभियान के तहत शहरी क्षेत्र के समस्त निर्माण कार्यों का चिन्हांकन कर उनकी जांच की जाएगी। इस दौरान यदि अवैध निर्माण पाया जाता है तो उसको ध्वस्त करने की कार्रवाई होगी।
एमपी में 18 हजार 435 अवैध निर्माण चिन्हित
एमपी के सभी 16 नगर निगमों में कुल 18 हजार 435 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई 1 अप्रैल से प्रारंभ होगी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने आदेश जारी करते हुए अभियान चलाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। जिस पर सभी नगर निगम द्वारा कार्रवाई की सूची तैयार कर ली गई है। सूची में उन निर्माण कार्यों को चिन्हित किया गया है जो कंपाउंडिंग के प्रावधानों में नहीं आते। समय के साथ तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जिसके कारण अवैध निर्माणों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। कई लोगों द्वारा तो तय अनुमति से अधिक निर्माण कर लिया जो व्यवस्थित शहरी विकास की अवधारणा के विपरीत है। इसके साथ ही कंपाउंडिंग की सुविधा भी लोगों को मुहैया कराई जा रही है।
जीआईएस सर्वे से हो रहा चिन्हांकन
नगरीय निकायों में जीआईएस सर्वे के माध्यम से वर्तमान संपत्तियों व नई संपत्तियों का चिन्हांकन किया जा रहा है। इस सर्वे कार्य में निकाय के बेस मैप पर सभी संपत्तियों की जानकारी उपलब्ध हैं। जिसके आधार पर निकाय यह सुनिश्चित करेंगे कि सर्वे के दौरान पाई गई सभी संपत्तियों व भवनों की अनुज्ञा है अथवा नहीं। वर्ष 2014 के बाद हुए निर्माण कार्यों में भवन अनुज्ञा अनुसार ही निर्माण कार्य कराया गया है कि नहीं। नियमों के तहत तय समय सीमा में अवैध निर्माण कार्यों को कंपाउंडिंग के माध्यम से वैध करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
5 हजार वर्गफीट से अधिक निर्माण कार्यों की होगी जांच
1 अप्रैल से प्रारंभ होने वाली कार्रवाई के दायरे में 5 हजार वर्गफीट से अधिक निर्माण कार्यों की जांच होगी। जिसमें निर्माणाधीन अथवा निर्मित भवनों की तय अनुमति से अधिक निर्माण कार्य कार्रवाई के दायरे में रहेंगे। इन निर्माणाधीन और निर्मित भवनों की भवन अनुज्ञा का अनिवार्य निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह कार्य नगरीय निकायों द्वारा जारी भवन अनुज्ञा के अनुसार ही हुआ है कि नहीं। यदि उक्त निर्माण कार्य बगैर अनुमति या प्रावधानों के तहत नियम अनुसार कंपाउंडिंग फीस योग्य हैं तब नियमानुसार कंपाउंडिंग की जाएगी। इस दौरान यदि ऐसे प्रकरण मिले जो कंपाउंडिंग योग्य नहीं हैं उनको नियमानुसार हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
इंदौर में सर्वाधिक अवैध निर्माण
नगरीय विकास एवं आवास विभाग की सूची पर नजर डालें तो इंदौर में 5 हजार वर्गफीट से अधिक निर्माण कार्यों की संख्या 3 हजार से अधिक है। जबकि भोपाल में यह संख्या 2 हजार 341 है। ग्वालियर और जबलपुर में यह संख्या 2 हजार के अंदर है। जबकि मुरैना में निर्माण के लिए 47 प्रतिशत कम अनुमतियां लेनी पाई गईं। बुरहानपुर, रतलाम, खंडवा सहित अन्य नगर निगम क्षेत्रों में भी इसी तरह की स्थितियां सामने आई हैं। नगर निगम के साथ ही नगर पालिका और नगर परिषद स्तर पर भी सख्ती से अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। यहां उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्र में फैलाव और नए क्षेत्रों को जोड़ने के कारण भवन निर्माण कार्यों में तेजी से इजाफा हुआ है। भवन निर्माण कार्यों में कई कार्य बगैर अनुमति लेने के साथ ही अतिरिक्त निर्माण भी किए जा रहे हैं।