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Gotmaar Mela 2021: MP में यहाँ गोटमार मेले में दोनो पक्ष की ओर से चले पत्थर, 300 घायल जिसमें 43 गंभीर
छिंदवाड़ा। सदियों से चली आ रही यह आत्मघाती प्रथा बदस्तूर जारी है। मंगलवार सुबह विधि विधान से जाम नदी में ध्वज गाड़ा गया और शुरू हे गया गोटमार। वही दोपहर होते-होते गोटमार में तेजी आ गई। इस आयोजन में करीब 300 से ज्यादा लोग घायल हो गये है। वही 43 लोग गंभीर बताए जा रहे हैं। सभी घायलों का इलाज शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में चल रहा है। वहीं गंभीर घायलों को छिंदवाड़ा में भर्ती किया गया है।
सुबह 6 शुरू हो गया गोटमार
जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना और सावरगांव के लोग इस प्रथा को सदियों से मनाते आ रहे हैं। गोटमार मेले के आयोजन के लिए दोनो गांव के लोग सुबह 6 बजे मां चण्डी की पूजा करते है। बाद में नदी में झंडा लगाया जाता है। इसके बाद दोनो पक्ष के लोग इस झंडे को काटने के लिए आगे बढ़ते हैं और एक दूसरे के पीछे करने के लिए उन पत्थर बरसाए जाते है।
इस गोटमार प्रथा को पूरा करने के लिए मंगलवार 7 सितम्बर के भी पूरे विधि विधान से आयोजन शुरू किया गया। इस बार की पत्थर बाजी में शाम 5 बजे तक करीब 300 से ज्यादा लोग घायल हो गये। वही 43 गंभीर को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है।
हलांकि इस आयोजन को बंद करवाने के लिए प्रशासन प्रयासरत है। लेकिन लोग इस प्रथा को बंद नही करना चाह रहे है। ऐसे में प्रशासन की मौजूदगी में मेले का आयोजन किया जाता है।
झंडा के कटते के बाद रूकती है पत्थरबाजी
जब तक नदी में गड़ झंडा नही कटता पत्थरबाजी चलती रहती हैं। लेकिन जैसे ही झंडा पांर्ढुना पक्छ के लोग झंडे को काट देते हैं दोनो पक्ष आपस में मेल मिलाकर कर माता चंडी के दरबार में पहुंचते हैं। वहीं अगर किसी कारण वस झंडा नहीं कटा तो प्रशासन के समझौते के बाद मेल मिलाप करवाया जाता है।
आयोजन के पीछे की कहानी
बताया जाता है यह आयोजन प्रेम कहानी से जुड़ा है। सावरगांव की एक आदिवासी कन्या को पांर्ढुना के लड़के से प्रेम हो। दोनों ने चोरी छिपे प्रेम विवाह कर लिया। शादी के बाद लड़का अपने दोस्तों के साथ लड़की को भगाकर अपने साथ ले जा रहा था।
नदी पार करते समय सावरगांव गांव के लोगों ने रोकने के लिए पत्थर बरसाने लगे। जानकारी मिलने पर दूसरे पक्ष पांर्ढुना गांव के लोगों ने भी जवाब में पथराव शुरू कर दिया। जिसमें प्रेमी जोड़े की जाम नदी में ही मौत हो गई।
दोनो प्रेमी की मौत के बाद मां लोगों को एहसास हुआ कि उन्होने गलत किया। इसके बाद दोनो पक्ष माता चंडी के दरबार में पहुचते हैं और गलती का एहसास हो जाने पर एक दूसरे से मेल मिलाप करते है। तब से यही प्रथा चली आ रही है। और लेग इसका पालन कर रहे है।