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चंबल के पूर्व डकैत मलखान सिंह कांग्रेस में हुए शामिल, पूर्व सीएम कमलनाथ के हाथों ली सदस्यता
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चंबल के बीहड़ में चार दशक पूर्व डकैत रहे मलखान सिंह बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके द्वारा भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथों सदस्यता ग्रहण की गई। इसके साथ ही सागर और छतरपुर में जिला शिक्षा अधिकारी रहे संतोष शर्मा भी कांग्रेस में शामिल हुए। मलखान कभी बीहड़ के दस्यु किंग कहलाते थे। किंतु खुद को डाकू कहलाना वह गलत बतलाते हैं। उनके अनुसार वह अन्याय के खिलाफ बागी थे। उस दौरान वह पंच भी थे। गांव के रामजानकी मंदिर की 100 बीघा जमीन को मंदिर में मिलने के लिए उन्होंने हथियार उठाए थे।
मलखान ने यह किया दावा
कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मलखान सिंह ने दावा किया कि वह कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे। जहां उनका प्रचार होगा वहां कांग्रेस जीते। उन्होंने कहा कि पहले अन्याय के खिलाफ उन्होंने बंदूक उठाई थी। आज उन्होंने अन्याय के खिलाफ बिगुल बजाया है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को साफ कर देंगे। उन्होंने कहा कि अन्याय और अत्याचार नहीं बढ़ता तो वह बागी नहीं बनते। सिद्धांत वाली पार्टी जानकर उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार किया था किंतु भाजपा में अब अन्याय, अत्याचार बढ़ गया है। मलखान ने कहा कि लोगों की जमीन छीनी जा रही है, रेप हो रहे हैं जिसके कारण उन्होंने भाजपा का त्याग कर दिया था और अब कांग्रेस की सदस्यता ली।
मंदिर की जमीन के लिए बने बागी
मलखान का कहना था कि वह मंदिर की जमीन के लिए बागी बने। उनकी लड़ाई गांव के रामजानकी मंदिर की 100 बीघा जमीन के लिए थी। यह जमीन मंदिर के नाम हो गई तो उन्होंने समर्पण कर दिया। 15 जून 1982 में वह और उनकी गैंग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मौजूदगी में समर्पण कर दिया था। इस सरेंडर को देखने के लिए मैदान में 30 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जमा हुई थी। जिसके बाद मलखान 6 वर्ष जेल में रहे। वर्ष 1989 में सभी मामलों में बरी करते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया। जिसके बाद वह भाजपा से प्रभावित हुए और उसके लिए प्रचार करना शुरू कर दिया। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का प्रचार करने के लिए वे कई मंचों का चेहरा बने। अपने भाषणों में मलखान ने कांग्रेस को कोसते हुए नरेन्द्र मोदी को जिताने की अपील की। मलखान ने 2019 में भाजपा से टिकट न मिलने पर खफा हुए और उन्होंने भाजपा छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का दाम थान लिया था।
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