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
यह प्रशिक्षण बाघों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए आयोजित किया गया है। यह प्रशिक्षण दो सत्रों में आठ-आठ दल को दिया जायेगा जिसमें डाग कमांड और डाग मूवमेंट के साथ क्राइम सीन पर बरती जाने वाली सावधानियों से संबंधित जानकारी प्रदान की जाएगी। पहले सप्ताह का प्रशिक्षण 5 दिसंबर से 11 दिसंबर तक चलेगा और दूसरे सप्ताह का प्रशिक्षण 11 से 17 दिसंबर तक होगा।
बताया गया है कि डाग जंगल में होने वाली घटनाओं के बाद महज गंध से वन अधिकारी को अपराधियों तक पहुंचा सकता है। लेकिन यह तब संभव है जब डॉग हैंडलर और असिस्टेंट उसकी सांकेतिक भाषा को बेहतर ढंग से समझता हो। घटना स्ािल पर डाग की हरकत कितनी महत्वपूर्ण है यह अनुभवी डाग हैंडलर ही समझ सकता है।
बताया गया है कि डॉग जब ज्यादा भौंकता है तो वह अपराधियों के ज्यादा नजदीक होता है और उसकी सांसें तेजी से चलने लगती हैं। ऐसे बड़े मामलों की बारीकियों के संबंध में जानकारी दी जाएगी। वहीं बताया गया है कि जब कुत्ता कुुकुआने की आवाज निकालता है और पूंछ को तेजी से हिलाता है तो कुछ और समझने की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षण के संबंध में एसडीओ सुधीर मिश्रा ने जानकारी दी है कि डॉग स्क्वाड में शामिल हैंडलर और असिस्टेंट को आधुनिक जानकारियां भी मिलेंगी। एक दूसरे के संपर्क में आने से वे अनुभव साझा कर सकेंगे। इससे वन अपराध को रोकने सहायता मिलेगी।
